सूर्यग्रहण से जुड़े अंधविश्‍वास पर न करें विश्‍वास, ये है हकीकत

हिंदू धर्म में ग्रहण शब्‍द को बहुत बुरा माना जाता है। सूर्य ग्रहण और या चंद्र ग्रहण दोनों को लेकर हिंदू धर्म में कई अंधविश्‍वास हैं। हिंदू धर्म में ग्रहण को राहु-केतु नामक दो दैत्‍यों की कहानी से जोड़ा जाता है और इसके साथ ही कई अंधविश्‍वास भी इससे जुड़ जाते हैं। शुक्रवार को जब चांद, सूर्य और धरती के बीच से गुजरा तो आंशिक तौर पर सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। जिसका नतीजा ये रहा कि दुनिया में कुछ जगहों पर सूर्य कुछ समय के लिए आंशिक तौर पर नहीं दिखा। एक तरफ जहां यह हिंद प्रशांत क्षेत्र में रहने वालों को दिखाई दिया तो वहीं दूसरी तरफ यह सलाह दी गई कि लोग इसे देखने के लिए स्पेशल ग्लास या फिर लेंस का इस्तेमाल करें ना कि नग्न आंखों से।

मान्‍यता: ग्रहण पड़े तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। 
सत्‍य: प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों द्वारा यह बात फैलाई गई थी की ग्रहण के वक्‍त घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस विषय पर आचार्य विकास कहते हैं, ‘प्राचीन समय में लोगों को ज्‍यादा ज्ञान नहीं होता था और भय के सहारे उनसे काम करवाया जाता था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है मगर आज लोग पढ़े लिखे हैं। ग्रहण पड़ने पर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए यह बात सत्‍य है। क्‍योंकि सूर्य को ही धरती पर प्रकाश का स्रोत माना जाता है। प्राचीन समय में इलेक्ट्रिकसिटी नहीं हुआ करती थी इसलिए कहा जाता था कि अंधेरे में घर से बाहर नहीं निकला चाहिए। मगर आज प्रकाश लाने के ढेरों विकल्‍प ऐसे में ग्रहण पड़ने पर भी काम नहीं रुकते। जो लोग आज भी मानते हैं कि ग्रहण के वक्‍त घर से बाहर निकलने पर अनर्थ हो जाएगा वह अंधविश्‍वास के शिकार हैं।’

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