सूफी तरानों के बीच ‘गालिब’ का कबाब…!

 

कबाब और बिरयानी भले ही कितनी भी पुरानी हो, उसकी मांग बढ़ती ही जा रही है। अब अगर आप भी कबाब और बिरयानी जैसे मुगलई खाने के शौकीन हैं, तो दिल्ली आपका इंतजार कर रही है। दरगाह से आती सूफी तरानों के बीच कबाब खाने का अपना ही मजा है। दिल्ली के हरजत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के पास गालिब रोड पर ही एक ऐसी दुकान है, नाम है गालिब कबाब। 60 सालों से लगातार कबाब बेचते हुए यह दुकान लोगों के बीच काफी मशहूर है। इसका जायका और सड़क के किनारे बैठकर खाने का तरीका आपके दिल पर छा जाएगा।

60 साल पुरानी है दुकान

यह दुकान फिलहाल नासिर कुरैशी चलाते हैं। नासिर के मुताबिक यह दुकान लगभग 60 साल पुरानी है। इस दुकान की शुरुआत उनके पिता मो. हनीफ कुरैशी ने की थी। नासिर का कहना है कि जब उन्होंने कबाब बेचना शुरू किया था, उस वक्त गली में एक भी घर नहीं था। दुकान के साथ बस्ती भी बढ़ती गई। आज हालात यह है कि आप कार से इस गली में नहीं घुस सकते। 

 

कबाब और टिक्का है खास

वैसे तो इस दुकान की खासियत कबाब है, लेकिन टिक्का और रोटी का जायका भी काफी बेहतरीन है। मटन सीख कबाब, चिकन सीख कबाब, बिरयानी, मटन शामी कबाब और चिकन टिक्का वो डिश हैं, जिसे एक बार जरूर चखना चाहिए। यहां कबाब लखनऊ जितने मुलायम और रसीले नहीं हैं। इस पर नासिर कहते हैं कि हां, यह बात सही है, लेकिन इसके पीछे वजह है। यहां के लोग ऐसे ही कबाब खाना पसंद करते हैं। उन्हें एकदम मुलायम कबाब पसंद नहीं है। नासिर अपनी ‘शीरमाल’ को लेकर दावा करते हैं कि इतनी मुलायम रोटी दिल्ली में सिर्फ दो जगह मिलती है। एक करीम और दूसरा गालिब कबाब। 

गालिब से क्या है नाता

इस सवाल पर नासिर कहते है कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है इस जगह का नाम। जिस रोड पर यह दुकान है उसे गालिब रोड कहते हैं। दूसरी वजह सामने गालिब क्लब का होना। आखिर में हंसते हुए कहते हैं कि शायद कोई नाता भी है। 

आगे है हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह

इस दुकान से आगे बढ़ेंगे, तो दस कदम की दूरी पर मशहूर हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह है। लगातार आते-जाते लोगों की वजह से दुकान पर आपको भीड़ देखने को मिलती है। साथ ही इस दुकान पर आपको विदेशी यात्री भी नजर आ जाते हैं। आप अगर धार्मिक स्थानों पर जाने में रूचि रखते हैं, तो आप इस दरगाह पर भी जा सकते हैं। 

कैसे जाएं

गालिब कबाब जाने के लिए आप मैट्रो का सहारा ले सकते हैं। हजरत निजामुद्दीन मैट्रो स्टेशन या आश्रम मेट्रो स्टेशन पर उतरकर आप ऑटो के सहारे जा सकते हैं। अगर आपको चलना पसंद है, तो लगभग 2.6 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। हजरत निजामुद्दीन मैट्रो स्टेशन से हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह की ओर जाने के लिए ऑटो आसानी से मिल जाता है। यह आपको गालिब कबाब तक भी पहुंचा देगा।

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