अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले की मीडिया की तरफ से की गई कवरेज से अभिनेता मनोज बाजपेयी बहुत निराश हैं। उनका कहना है कि मीडिया को किसी भी इंसान के चले जाने से भी कोई हमदर्दी नहीं है।
वह तो हमेशा सिर्फ टीआरपी के पीछे ही भागते हैं। वहीं, मनोज.. सुशांत की प्रतिभा को हिंदी सिनेमा में अतुल्य मानते हैं। उनके हिसाब से मनोज तो उनकी (सुशांत) बुद्धिमत्ता के मामले में आसपास भी नहीं भटकते।
यहां उल्लेखनीय है कि मनोज बाजपेयी की अरसे से रिलीज का इंतजार कर रही फिल्म भोसले जल्द ही ओटीटी पर रिलीज होने वाली है। मनोज बाजपेयी और सुशांत सिंह राजपूत ने वर्ष 2019 में आई हिंदी फिल्म ‘सोनचिड़िया’ में एक साथ काम किया। मनोज अपने सह कलाकार की तारीफ करते हुए नहीं थकते।
वह कहते हैं, ‘सुशांत ने जो हिंदी सिनेमा में अपना योगदान दिया है, मैं उसे हमेशा याद रखूंगा। ऐसा कौन है जिसने महज 34 साल की उम्र में ही इतना सब कुछ किया हो? उनका दिमाग बहुत तेज था।
मुझे नहीं लगता कि बुद्धिमत्ता के मामले में मैं सुशांत के कहीं करीब भी हूं! यहां तक कि मैं किसी ऐसे इंसान तक को नहीं जानता जिसने सिर्फ तारों को देखने के लिए इतनी एडवांस दूरबीन खरीदी हो। सुशांत कई विषयों की किताबें भी पढ़ते थे।’
सुशांत की आत्महत्या के दौरान मीडिया की तरफ से की गई कवरेज पर निराशा जाहिर करते हुए मनोज ने कहा, ‘पता नहीं हमारे नैतिक मूल्य कहां खो गए हैं? मैंने कई कलाकारों के निधन के वक्त ऐसा होते देखा है जैसा सुशांत की मौत के वक्त हुआ।
यह सब मुझे बहुत निराश करता है। ज्यादा से ज्यादा खबरों में आकर्षण लाने के लिए ऐसे ऐसे आलेख बनाए जाते हैं। यह सब बस टीआरपी के पीछे भागना ही है। असल में यह मानवता शब्द का अपमान है। दुख की घड़ी में हमें शोक मनाना चाहिए लेकिन शोक मनाने की बजाय हम टीआरपी के पीछे भागते हैं।’
बता दें कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को मुंबई में बांद्रा स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस की जांच के दौरान पता चला है कि वह पिछले छह महीने से अवसाद ग्रसित थे और इसके लिए वह डॉक्टर से दवाइयां भी ले रहे थे।
इस घटना के बाद से ही हिंदी सिनेमा में वंशवाद और खेमेबाजी जैसे मुद्दों पर खूब बहस हो रही है। इस बीच मनोज बाजपेयी की फिल्म भोसले की भी रिलीज डेट फिक्स हो गई है। ये फिल्म जल्द ही सीधे ओटीटी पर रिलीज होने जा रही है।