सुबह आंखें खुलने के पहले व्यक्ति जाग जाता है। जागने के बाद आंखें खोलता है और आंखें खोलते ही मस्तिष्क भी धीरे-धीरे जागने लगता है। यह समझना जरूरी है कि जिस तरह सूर्योदय के पहले उजाला होने लगता है और फिर बाद में सूर्य दिखाई देता है, ठीक उसी तरह व्यक्ति को पूर्ण चैतन्य होने में वक्त लगता है। ऐसे समय में उसका मस्तिष्क संवेदनशील होता है। ऐसे में कुछ सावधानियां रखना जरूरी है, क्योंकि हमारे मस्तिष्क को सेट होने में कम से कम 2 घंटे का समय लगता है। ऐसे समय में हमें कौनसे कार्य करना चाहिए आओ जानते हैं।
1. नींद से जागते ही आप एकदम से आंखें न खोलें। धीरे-धीरे आंखें खोलें और यह सुनिश्चित करें कि आंखें खुलते ही आपको अच्छी तस्वीर के दर्शन हो या आप सबसे पहले अपनी हथेली के दर्शन करें और भगवान का ध्यान करें। ऐसा करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। धर्मग्रंथों और ऋषि-मुनियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हमारे हाथों की हथेलियों में दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। अत: हमारी सुबह यदि शुभ दर्शन और शुभ कार्यों के साथ शुरू होगी तो संपूर्ण दिन भी शुभ ही होगा। अच्छा ये है कि आप अपने बेडरूम में अच्छी तस्वीरें लगाएं। सुगंधित वातावरण रखें।
2. बिस्तर छोड़ते ही हमारी यात्रा प्रारंभ हो जाती है। अत: जो भी स्वर चल रहा हो उसी साइड का पैर निकालकर उठें।
3. उठने के कम से कम एक घंटे तक चुप रहें और इस दौरान शौचादि से मुक्त होने का कार्य ही करें।
4. यदि आप पूजा पाठ करते हैं तो शौचादि से मुक्त के बाद ये कार्य करें या प्रार्थना करें या भजन सुनें। दरअसल, हम जब सो रहे होते हैं या सोकर उठ रहे होते हैं तो वह काल संधि का काल होता है। जैसे सूर्योदय या सूर्यास्त या जैसे रात और दिन या दिन और रात जहां मिल रहे होते हैं, उसे संधि कहते हैं। ऐसे काल में हमारा मस्तिष्क बहुत ही संवेदनशील होता है। ऐसे में यदि वह सकारात्मक बातें ग्रहण करता है, तो जीवन में सकारात्मक घटनाएं ही घटती हैं, लेकिन यदि वह लगातार नकारात्मकता ग्रहण करता है तो जीवन में नकारात्मकता ही घटित होती है।
5. सुबह उठने के बाद सबसे पहले उन कामों के बारे में सोचे जो आपको प्राथमिक रूप से करना है। इस आदत से आप सबसे जरूरी कार्य को निपटाने की क्षमता साहिल करेंगे। जीवन में सफलता हेतु सबसे पहले वही कार्य करना चाहिए जो आपने जीवन में खास है।
6. आंख खुलते ही आप किसी का भी चेहरा देखने से बचें, खासकर किसी ऐसे व्यक्ति, पशु या अन्य का जिसे देखकर आपके मन में अचानक से बुरे भाव आते हो या आपको अच्छा न लगता हो।
7. जो लोग देर से सोते हैं, वे देर से ही उठते हैं या उन्हें मजबूरीवश देर से सोना और जल्दी उठता पड़ता है। ऐसे लोगों की सेहत दिन-ब-दिन गिरती जाती है जिसका उन्हें पता नहीं चलता। वे चिढ़चिढ़े हो जाते हैं और उनके संबंधों पर भी गहरा असर होता है। ऐसे में जरूरी है कि सुबह उठकर शौचादि के बाद 5 मिनट का ध्यान करें या अपने ईष्टदेव की पूजा या प्रार्थना करें। इसके बाद ही कोई दूसरा कार्य करें। इसके साथ ही वे अपने खानपान पर ध्यान दें।8. सुबह उठते ही अखबार पढ़ने या टीवी देखने से भी मस्तिष्क पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
9. सुबह उठते ही किसी गांव या पशु का नाम नहीं लेना चाहिए विशेषकर बंदर, कुत्ता या सूअर का नाम तो कभी नहीं लेना चाहिए।
10. सुबह टीवी पर कभी भी लड़ाई-झगड़े, रोने-धोने वाले सीरियल न देखें। इसी तरह रात को सोने से कुछ समय पूर्व भी ऐसा न करें।
11. सुबह उठते ही झगड़ें नहीं और न ही गड़े मुर्दे उखाड़ने का प्रयास करें। यदि आप ऐसा करते रहेंगे तो जिंदगी में कभी भी बेहतर की आशा न करें।
12. सुबह उठकर घर में या दफ्तर जाकर लोगों से कठोर भाषा में बात न करें। अच्छे शब्दों का उपयोग करें।
13. आजकल लोग सुबह उठते ही कम्प्यूटर या मोबाइल से चिपक जाते हैं जिसकी वजह से उनके जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है। उनकी सेहत और संबंध खराब होने लगते हैं, साथ ही समय प्रबंधन भी गड़बड़ा जाता है।
14: सुबह उठते ही कुछ लोग शौच जाए बिना या बिना मंजन किए भोजन करना शुरू कर देते हैं, जो कि बहुत ही गलत है। इससे सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बिना शौच जाए खाने से पहले की गंदगी बाहर नहीं निकल पाती और बिना मंजन किए खाने से रातभर की मुंह की गंदगी और पेट में चली जाती है।
15. सभी कार्यों से मुक्त होने के बाद सुबह कम से कम 15 मिनट के लिए योगासन, एरोबिक्स, कसरत, साइकिलिंग या मॉर्निंग वॉक करें।