पंजाब सरकार और मुख्तार अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार को उन्हें को रूपनगर जेल से यूपी के बांदा जेल में भेजने की मांग करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि वह पंजाब सरकार और रूपनगर जेल प्राधिकरण को निर्देश दे कि गैंगस्टर से नेता बने अंसारी की हिरासत जल्द से जल्द जिला जेल बांदा को सौंप दें।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह उत्तर प्रदेश सरकार और मऊ के विधायक अंसारी की याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। मुख्तार अंसारी ने अपने खिलाफ मामलों को यूपी के बाहर स्थानांतरित किए जाने की मांग की है। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दी। वहीं अंसारी की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलीलें रखी।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जेल नियमों का हवाला देते हुए कहा कि भले ही राज्य के पास मौलिक अधिकार नहीं है… गलत है। राज्य पीड़ितों के अधिकारों का समर्थन कर सकता है। राज्य हमेशा पीड़ित और समाज की भूमिका का निर्वहन करता है। मुख्तार अंसारी ने जेल नियमों का उल्लंघन किया। ऐसे में पीड़ितों के अधिकार के साथ ही राज्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आरोपी को किसी भी सूरत में निष्पक्ष सुनवाई बाधित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
