नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को बेचैनी से सोमवार का इंतजार है, जब सुप्रीम कोर्ट उसके भविष्य पर फैसला करेगा। फैसला उसके खिलाफ जाता है, तो “प्लान-बी” लागू करने के खेल शुरू होंगे, जिसमें अपने-अपनों को शीर्ष पदों पर बिठाया जा सकता है।
कोर्ट ने बीसीसीआई को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं, हालांकि बीसीसीआइ ने इसे टालने की कोशिश की। इस वजह से उसे लोढ़ा समिति की नाराजगी भी झेलनी पड़ी है।
कोर्ट के निर्देश के बाद अक्टूबर से अब तक बीसीसीआइ ने तीन बैठक कर ली हैं, लेकिन उसके मुताबिक राज्य संघ अब भी बात मानने को तैयार नहीं हैं। कोर्ट ने बीसीसीआई को वक्त दिया था कि वह राज्य संघों को मना सके, लेकिन तीन बैठकों के बाद भी ऐसा नहीं हो सका।
इसके बाद लोढ़ा समिति ने एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने की सिफारिश की थी। इसके लिए जीके पिल्लई का नाम भी सुझाया था। दो दिसंबर को भी बीसीसीआइ की बैठक हुई थी। इसमें भी यही कहा गया था कि वह कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे। जाहिर है कि वह पांच दिसंबर तक इंतजार करना चाहते थे।