राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश का दोनों ही पक्षों रामजन्मभूमि न्यास और बाबरी एक्शन कमेटी ने स्वागत किया है. हालांकि निर्मोही अखाड़ा ने कहा है कि अयोध्या भगवन राम की जन्मस्थली है. लिहाजा इस पर मुस्लिम अपना दावा छोड़ दें.
महंत रामदास ने कहा कि अयोध्या भगवन राम की जन्मस्थली है इसलिए वहां राम मंदिर बनाने के लिए मुस्लिम अपना दावा छोड़ दें. वहीं बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब ने कहा वे पहले से चाह रहे थे दोनों पक्ष बैठ कर बातचीत से ही मसले का समाधान निकाल लें.
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दूसरी तरफ वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से बाहर किसी भी तरह के समझौते को ख़ारिज कर दिया है. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा “मामला कई सालों से कोर्ट में पेंडिंग है. आपसी समझौते से मसले का हल निकलना असंभव है. हमें कोर्ट का ही फैसला मंजूर होगा.”
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारत हिन्दू महासभा और श्रीराम जन्म भूमि केस में अपीलकर्ता स्वामी चक्रपाणि ने भी सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया है.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हों तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं. चीफ जस्टिस खेहर ने कहा है कि ये मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है और ये बेहतर होगा कि इसको दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सुलझाएं.
इस मामले के याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने कहा है कि सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए सभी संबंधित पक्ष साथ बैठें.