सुखदेव सिंह ढींडसा ने स्पष्ट तौर पर कहा- पार्टी नहीं छोड़ूंगा, सुखबीर बादल से मांगा इस्तीफा

शिरोमणि अकाली दल (ब) के विभिन्न पदों से इस्तीफा देकर बगावत पर उतरे राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने बुधवार को अपने निवास स्थान पर कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रम रखकर वर्करों की नब्ज टटोलने का प्रयास किया। बैठक सेे पार्टी के विधायकों व वरिष्ठ नेताओं सहित ढींडसा के विधायक बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा ने भी दूरी बनाए रखी। हालांकि भाजपा के जिला अध्यक्ष विक्रम सैणी व कुछ भाजपा कार्यकर्ता बैठक में शामिल हुए।

बैठक में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने ढींडसा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का एलान किया, जबकि सुखदेव सिंह ढींडसा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह अकाली दल व पंजाब को बचाने के लिए पार्टी के बीच रहकर सिद्धांतों की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह आज भी पार्टी के प्राथमिक सदस्य हैं पार्टी चाहे तो उन्हें पार्टी से निकाल सकती है। वह पार्टी को नहीं छोड़ रहे हैं। अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल पर निशाना साधते हुए ढींडसा ने कहा कि सुखबीर बादल खुद अपनी मर्जी से प्रधान चुने जाते हैं, जबकि डेेलीगेटों ने उन्हें नहीं चुना है।

ढींडसा ने कहा, पार्टी प्रधान से लेकर निचले स्तर तक पद सुखबीर बादल के इशारे पर थोपे जा रहे हैं, जबकि इसके लिए किसी से कोई विचार-विमर्श या राय नहीं ली जाती। अब तक वह पार्टी में रहकर यह सहते रहे, लेकिन बात हद से बढ़ने लगी तो उन्होंने किनारा करना ही मुनासिब समझा। सुखबीर बादल को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

बैठक दौरान के महिला अकाली दल की जिला प्रधान (देहाती) परमजीत कौर विर्क, शहरी प्रधान सुनीता शर्मा सहित अन्य अकाली दल के वर्करों ने अपने पद से इस्तीफा देकर ढींडसा के साथ चलने का एलान किया, लेकिन ढींडसा ने उन्हें इस्तीफा न देने की बात कही। ढींडसा ने कहा कि कोई भी पार्टी नेता या वर्कर पार्टी से इस्तीफा नहीं देगा, बल्कि पार्टी के बीच रहकर ही लड़ाई लड़ेंगे।

परमिंदर सिंह ढींडसा के बैठक से गैरहाजिर रहने बाबत ढींडसा ने कहा कि वह किसी अवश्य कार्य की वजह से बाहर हैं। परमिंदर ढींडसा पहले भी कह चुके हैं कि वह उनके साथ हैं और आज वह भी दोहरा देना चाहते हैं कि परमिंदर मेरे साथ ही हैंं। बैठक में संगरूर व बरनाला जिले के वर्करों ने शिरकत की।

बादल परिवार से अकाली दल को आजाद करवाना जरूरीः ढींडसा

सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल जब बनाया गया था तो गुरुघरों की आजादी बहाल करवाने के लिए शहादत दी थी, जिस उद्देश्य से शिअद अकाली दल का गठन किया गया था, उसे एक परिवार कायम नहीं रख पाया, इसलिए अब समय की जरूरत है कि बादल परिवार से अकाली दल को आजाद करवाया जा सके। प्रधान सुखबीर बादल डिक्टेटरशिप पर उतर आए हैंं। विरोध करने वालों को पार्टी से बाहर कर दिया जाता है, लेकिन अब यह सहन नहीं किया जा सकता। जल्द ही रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा से बैठक कर अगली रणनीति बनाई जाएगी।

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