सुकून से दो पल बिताने के लिए बेहतरीन जगह है तीर्थन वैली

हिमाचल की बहुत ही खूबसूरत और शांत तीर्थन वैली ऐसी जगह है जिसके लिए आपको एक महीने पहले प्लानिंग करने की जरूरत नहीं। दो से तीन दिन का वक्त काफी है तीर्थन वैली के हर एक नज़ारे को यादों में कैद करने के लिए। पूरी घाटी घूमने के बाद ये कहना सही रहेगा कि अगर आप किसी ऐसी जगह वीकेंड मनाना चाह रहे हैं जो आपकी भागदौड़ भरी जिंदगी को थोड़ा रिलैक्स करें तो तीर्थन बेस्ट ऑप्शन है।

पहाड़ों और उन पर जमी बर्फ का नज़ारा तो न जाने कितनी ही दफा देखा होगा लेकिन यहां कुछ अलग ही था। इसे ही एक्सप्लोर करने के लिए तैयार होकर हम चल दिए अपने पहले डेस्टिनेशन की ओर, जो था…

 

जिभी वॉटरफॉल

शायद बारिश के दिनों में वॉटरफॉल की खूबसूरती अपने चरम पर होती होगी ऐसा देखकर लगा। पहाड़ों से गिरते झरने खूबसूरत तो लगते ही हैं लेकिन उनकी तेज़ रफ्तार वाली धार को देखने का अलग ही मजा और उत्साह होता है।

 

जलोरी पास और सिरोलसार लेक

इसे देखना तो बनता है। यहां पहुंचने का रास्ता भी बहुत ही शानदार है ऐसा लगता है जैसे रास्तों पर बर्फ की चादर बिछी हुई है। बीच में जमी हुई झील और उसके चारों ओर बर्फ ही बर्फ और ऊंचाई पर बना एक मंदिर। कुछ ऐसा होता है यहां का नजारा। यहां बैठकर कैसे आपका समय बीत जाएगा इसका अंदाजा आपको घड़ी देखने के बाद ही लगेगा।

चैहणी गांव

अगले दिन शाम को दिल्ली के लिए रवाना होना था तो सुबह का वक्त हमने यहां के चैहणी गांव घूमने का प्लान बनाया। सुना था छोटा लेकिन बहुत ही खूबसूरत गांव है और वाकई बिल्कुल वैसा ही पाया। यहां एक चैहणी कोठी है। लकड़ी से बनी ये कोठी तकरीबन 1500 साल पुरानी है। जो कभी कुल्लू के राजा राणा ढ़ाढियां का निवास हुआ करता था। 15 मंजिला ये इमारत 1905 में आए भूकंप के बाद बस 10 मंजिला ही रह गई है। ये कोठी जो पूर्वी हिमालय क्षेत्र की सबसे ऊंची कोठी है।

कब जाएं

तीर्थन वैली जाने का सबसे सही समय मार्च से जून के बीच होता है तो शिवरात्रि वाले लॉन्ग वीकेंड में आप यहां जान की प्लानिंग कर सकते हैं। पूरी घाटी फूलों और फलों से सजी हुई नज़र आती है। साथ ही मौसम भी इतना सर्द नहीं होता। इसके साथ ही आप कई सारे एडवेंचर स्पोर्ट्स को भी एन्जॉय कर पाएंगे। गर्मियों के महीने में जलोरी पास और हिमालयन नेशनल पार्क की ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।

स्नोफॉल देखना चाह रहे हैं तो फिर हाल-फिलहाल जाने की प्लानिंग कर सकते हैं। हां, जुलाई से सितंबर के बीच बारीश की वजह से पहाड़ों पर घूमना-फिरना जरा मुश्किल होता है तो उस दौरान यहां जाना अवॉयड करें।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग- भुंटर नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां से टैक्सी लेकर तीर्थन वैली तक पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग- तीर्थन वैली का अपना कोई रेलवे स्टेशन न होने की वजह से आपको शिमला तक की टिकट बुक करानी होगी। वैसे चंडीगढ़ से नज़दीक कालका तक की भी ट्रेन लेकर आप तीर्थन वैली पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग- दिल्ली से वॉल्वो और हिमाचल टूरिज्म की बसें मिलती हैं जो आपको सुबह 6 बजे के करीब ओट पहुंचाएंगी। यहां से तीर्थन वैली की दूरी 30 किमी है जिसके लिए टैक्सी की सुविधा अवेलेबल रहती है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com