आयुर्वेद चिकित्सक बनने के इच्छुक प्रदेश के युवाओं को बड़ा झटका लगा है। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआइएम) ने उत्तराखंड के सात आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता रद कर दी है। इनमें बीएएमएस की कुल 560 सीटें थीं। जिनमें आधी स्टेट कोटा के तहत भरी जानी थीं।प्रदेश के दोनों होम्योपैथिक कॉलेजों को भी इस साल मान्यता नहीं मिली है।
आयुर्वेद कॉलेजों के स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक तरफ आयुष मंत्रलय ने आयुष शिक्षकों के लिए पात्रता परीक्षा की व्यवस्था कर दी है तो दूसरी तरफ मानक पूरा न करने वाले कॉलेजों पर भी अंतिम क्षण में गाज गिरा दी है। इसका असर ये हुआ है कि ठीक काउंसिलिंग से पहले प्रदेश के आठ कॉलेजों का नाम लिस्ट से गायब है। सीसीआइएम ने इनकी मान्यता रद कर दी है। जानकारों की मानें तो ऐसा फैकल्टी की कमी, सुविधा-संसाधनों के अभाव आदि की वजह से किया गया है।
इन्हें है मान्यता
ऋषिकुल परिसर हरिद्वार, गुरुकुल परिसर हरिद्वार, फैकल्टी ऑफ आयुर्वेद मुख्य परिसर देहरादून, पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान हरिद्वार, हिमालयी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज डोईवाला, क्वाड्रा इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद रुड़की, मदरहुड आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज हरिद्वार, ओम आयुर्वेदिक एंड रिसर्च सेंटर रुड़की व दून इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फैकल्टी सहसपुर।
इन्हें नहीं मिली मान्यता
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, हरिद्वार, आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार, बिहाईव आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, शिवालिक आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, श्रीमति मंजरी देवी आयुर्वेदिक कॉलेज उत्तरकाशी, देवभूमि आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, बिशम्बर सहाय ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स रुड़की।
आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहा कहना है कि प्रदेश में सरकारी व निजी, कुल 16 आयुर्वेदिक कॉलेज हैं। सीसीआइएम ने हाल में इनका निरीक्षण किया था। आठ कॉलेजों को मान्यता नहीं मिली है। इन कॉलेजों के पास अभी कोर्ट जाने का विकल्प है।