पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हो गए। वहीं, सूत्रों ने बताया कि इस झड़प में चीन के भी 43 जवान हताहत हुए।
इनमें मृतकों और घायलों की संख्या शामिल है। सीमा पर बढ़े तनाव का असर दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों पर देखा जा रहा है। इसका एक उदाहरण यह है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जन्मदिन की मुबारकबाद नहीं दी।
दोनों सेनाओं के जवानों के बीच नाथू ला में 1967 के संघर्ष के बाद यह सबसे बड़ा टकराव है। उस दौरान भारत ने लगभग 80 सैनिकों को खो दिया था, जबकि टकराव में चीनी सेना के 300 से अधिक जवान मारे गए थे।
वहीं, इस बार गलवां घाटी में 15 जून की रात दोनों देशों की सेनाएं टकराई थी। इसी दिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जन्मदिन था। लेकिन पिछले चार सालों से हर बार जिनपिंग को बधाई देने वाले पीएम मोदी ने इस बार उन्हें बधाई संदेश नहीं भेजा।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि साल 2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को जन्मदिन की बधाई दी। उस दौरान भी दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट थी, क्योंकि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का विरोध किया था।
मोदी ने साल 2017 में भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक चले दोकलाम विवाद के बाद भी शी को जन्मदिन का बधाई संदेश भेजा था। गौरतलब हो कि दोकलाम में चीन द्वारा सड़क बनाने को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।
वहीं, पिछले साल पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को बिश्केक में व्यक्तिगत मुलाकत कर जन्मदिन की बधाई दी थी। पीएम मोदी किर्गिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल होने गए।
हालांकि, इस साल तनाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिनपिंग को बधाई नहीं दी। भारत का यह कदम आश्चर्यजनक है, क्योंकि हाल के दिनों में कुछ मुद्दों पर तनाव की स्थिति होने के बावजूद भी भारत ने चीन के साथ रिश्ते सुधारने चाहे।
फिर इसके लिए वो चाहे दोनों देशों के प्रमुखों की वुहान में हुई मुलाकात हो या पिछले साल जिनपिंग का भारत दौरा। दोनों देशों के प्रमुखों की इस तरह मुलाकात को देखकर लग रहा था कि जल्द ही रिश्तों में सुधार होगा।
लेकिन चीन की पीठ में छुरा घोंपने की आदत की वजह से एक बार फिर भारत के साथ उसके रिश्तों में कड़वाहट पैदा हो गई है। भारत में लोगों ने चीन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया है और चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की बात कही है।