नई दिल्ली: इस साल 10 वीं और 12 वीं कक्षा की परीक्षा दे चुके छात्रों को बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को मुश्किल प्रश्नों के लिए ग्रेस मार्क्स देने संबंधी अपनी मॉडरेशन पॉलिसी सत्र 2016-17 के लिए जारी रखने का अंतरिम आदेश दिया है. इस पॉलिसी को खत्म करने के लिए हाल ही में सीबीएसई ने नोटिफिकेशन जारी किया था जिसे कुछ अभिभावकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
अनुमान है कि इस फैसले से इस साल परीक्षा देने वाले 12वीं कक्षा के करीब 11 लाख छात्रों व 10वीं कक्षा के 9 लाख छात्रों को लाभ मिलेगा. एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने कहा कि जब इस साल 12वीं कक्षा के लिए छात्र परीक्षा दे चुके हैं तो ऐसे में यह पॉलिसी बदली नहीं जा सकती. सीबीएसई इस पॉलिसी को फिलहाल उन छात्रों के लिए जारी रखे जो इस वर्ष एग्जामिनेशन फार्म जमा कर चुके हैं. जब परीक्षा फार्भ भरे जाते हैं तो सभी को पता होता है कि इसके नियम क्या हैं. जब खेल शुरू हो चुका हो तो नियम बदले नहीं जा सकते. बेंच ने कहा कि छात्रों को असुरक्षा की भावना पैदा न कीजिए.
अदालत अभिभावकों व कुछ वकीलों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई ने ग्रेस मार्क्स देने संबंधी अपनी मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया है. यह गलत है और इससे 12वीं कक्षा के उन छात्रों पर खास तौर पर असर पड़ेगा जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय या विदेशों में दाखिले के लिए आवेदन किया है. याची का तर्क था कि केरल, आंधप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि कुछ राज्यों ने नई नीति को अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 सत्र से लागू करने का फैसला लिया है. ऐसे में इस पर रोक लगाई जाए. याची के अनुसार सीबीएसई ने इस वर्ष 12 वीं की परीक्षा के बाद नई नीति बनाई है. जिसमें ग्रेस मार्क्स न देने की बात कही गई है. इस नीति से 12 वीं कक्षा के छात्रों के अंक कम हो जाएंगे. उन्हें कॉलेज में दाखिला लेने में दिक्कत होगी.
22 मई को अदालत ने मॉडरेशन पालिसी खत्म करने पर सीबीएसई के प्रति नाराजगी जताई थी. पॉलिसी खत्म करने को लापरवाहपूर्ण व अन्यायपूर्ण फैसला कहा था. अदालत ने कहा था कि सीबीएसई क्यों नहीं अपनी नई नीति का अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 में लागू करती. अब कुछ दिनों में ही 12 कक्षा के नतीजे आने वाले हैं.