फर्जी फर्मों के जरिए कारोबार करने वाले शहर के पांच सराफा कारोबारियों का सुराग लगाने में जुटी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की चिट्ठी वाणिज्यकर विभाग को मिल गई। इन सराफा कारोबारियों के बारे में सभी खंडों से ब्योरा मांगा गया है जिसको सीबीआइ को मुहैया कराया जाएगा ताकि जांच आगे बढ़ सके।
सीबीआइ रेलवे के एक अफसर से जुड़े मामले की जांच कर रही है। उसी प्रकरण से पांच सराफा कारोबारी भी जुड़े हैं। इन कारोबारियों ने फर्जी फर्मों के जरिए वर्ष 2011 से 2013 तक सोना खरीदने और बेचने का धंधा किया। लेकिन 2017 तक सभी फर्में एक-एक करके गुम हो गईं।
13 जनवरी को आई थी सीबीआइ की टीम
सीबीआइ की तीन सदस्यीय टीम गत 13 जनवरी को इन फर्म संचालकों यानी सराफा कारोबारियों की जानकारी जुटाने के लिए वाणिज्यकर विभाग में पहुंची थी। सदस्यों ने डिप्टी कमिश्नर (प्रशासन) अरुण कुमार गौतम से प्रकरण में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा था। लेकिन सीबीआइ द्वारा मुहैया कराए गए रसीदों के आधार पर उन्होंने तत्काल कोई ब्योरा उपलब्ध करा पाने में असमर्थता जताई थी। कहा था कि चिट्ठी भेजकर जानकारी मांगेंगे तो खंडों से विवरण मंगाया जाएगा। इसके बाद टीम दिल्ली लौट गई थी।
सीबीआइ का पत्र वाणिज्यकर विभाग को मिला
सीबीआइ द्वारा पिछले सप्ताह स्पीड पोस्ट से भेजी गई चिट्ठी मंगलवार को डिप्टी कमिश्नर प्रशासन को मिली। चिट्ठी के साथ पांचों कारोबारियों से संबंधित रसीदें भी अटैच की गई हैं। चिट्ठी में सीबीआइ ने कारोबारियों के टिन नंबर, सेंट्रल सेल टैक्स (सीएसटी) रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र व रजिस्टे्रशन के समय प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रतियां मांगी हैं। डिप्टी कमिश्नर (प्रशासन) ने बताया कि विभाग के सभी खंडों से जानकारी मांगी गई है, ब्योरा मिलने पर सीबीआइ को भेजा जाएगा। बता दें कि मामले में आरोपित रेलवे अफसर सेवा से हटाए जा चुके हैं और लखनऊ में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal