कोरोना काल में खुद को साबित करने और अपने फर्ज के प्रति ईमानदारी दिखाने का मौका चंडीगढ़ के 57 वर्षीय अनिल ऑर्थर ने हाथ से नहीं जाने दिया। चंडीगढ़ के जीएमएसएच-16 में सीनियर लैब टेक्नीशियन अनिल ने कोविड-19 के दौरान अपनी उम्र की सीमा को दरकिनार कर फ्रंट लाइन पर आकर हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। अपने अनुभव, मेहनत और लगन के बल पर अस्पताल की कोविड-19 लैब में कोरोना के 50 हजार से ज्यादा संदिग्ध मरीजों की जांच की।
शुरुआती दौर में अचानक से बढ़ते पॉजिटिव केस की संख्या को देखते हुए जीएमएसएच-16 में अलग से लैब बनाने का निर्णय लिया गया। तब अनिल की देखरेख में 20 टेक्नीशियन की टीम को इसकी जिम्मेदारी दी गई। उनकी टीम ने दिन-रात कोविड-19 मरीजों की जांच की। अनिल ने बताया कि मई-जून की गर्मियों में पीपीई किट पहन कर काम करना बहुत ही मुश्किल भरा था। किट के अंदर की घुटन के बीच कई कई घंटे लगातार काम करना पड़ा। लेकिन किसी भी मुसीबत से जज्बे में कहीं कोई कमी नहीं आई।
शहर में जिस समय कोरोना चरम पर था उस समय अनिल ने बापूधाम जैसे हॉटस्पॉट पर जाकर संदिग्धों का सैंपल लिया। अनिल का कहना है कि अगर उस दौरान वह डरकर पीछे हट जाते तो उनके नेतृत्व में काम कर रहे बाकी तक्नीशियन का भी मनोबल कमजोर पड़ जाता। इसलिए उन्होंने हर मोर्चे पर आगे बढ़कर काम किया।
अनिल का कहना है कि उन्हें उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य से आगे बढ़कर खुद को साबित करने की ताकत मिली। अनिल की मां रिटायर्ड स्टाफ नर्स हैं जबकि उनकी पत्नी रीना पीजीआई पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। बेटी ऐलन नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है और बेटा अमोस कनाडा के एक हॉस्पिटल में टेक्नीशियन है।
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