सीजेआई: से सहमत नहीं ‘सुप्रीम कोर्ट’ के वकील संगठन- बोले कि स्थापित प्रक्रिया का पालन हो…

 (सीजेआई) जस्टिस रंजन गोगोई द्वारा खुद के खिलाफ लगे अमर्यादित आचरण के आरोपों से निपटने के तरीके को अनुचित बताया है। संगठन ने इसे ‘प्रक्रियात्मक असंगतता’ और प्रक्रिया का ‘उल्लंघन’ करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने फुल बेंच से आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।जस्टिस गोगोई के खिलाफ शनिवार को आरोप लगा। तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने इस मामले पर आपात सुनवाई की और अपने खिलाफ लगे आरोपों को ‘अविश्वसनीय’ बताया था। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाए थे,

एससीबीए ने अपनी कार्यकारी समिति की आपात बैठक के बाद बयान में कहा बिना किसी पक्षपात के शुरू की जा सकने वाली जांच के लिए, फुल कोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया और अन्य स्रोतों पर आरोपों के संबंध में उपलब्ध सभी सामग्रियों और तथ्यों को अगली बैठक में सुनवाई के लिए समेटना चाहिए। एससीबीए के सचिव विक्रांत यादव ने कहा, ‘कार्यकारी समिति का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा सीजेआई के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सुनवाई के लिए 20 अप्रैल को अपनाई गई प्रक्रिया कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के साथ ही साथ स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।’ जबकि एससीएओआरए ने सोमवार को पारित प्रस्ताव में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए ओरोपों पर स्थापित प्रक्रिया के तहत सुनवाई होनी चाहिए।

एसोसिएशन ने आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए फुल कोर्ट की अध्यक्षता में एक कमेटी के गठन की भी मांग की है। सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी संगठन का सीजेआई को समर्थन सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी कल्याण संगठन (एससीईडब्ल्यूए) ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का समर्थन किया है। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर कहा गया है कि 23 अप्रैल से संविधान पीठ नहीं बैठेगी। पूर्व में जारी नोटिस के अनुसार, पांच जजों की संविधान पीठ 23 अप्रैल से भूमि अधिग्रहण कानून-2013 की धारा 24 की व्याख्या से संबंधित दो मामलों की सुनवाई करने वाली थी। संगठन ने अपने एक पेज के प्रस्ताव में आरोपों को ‘झूठा, बनावटी और आधारहीन’ करार देते हुए इसे न्यायपालिका की छवि को खराब करने की साजिश बताया है। प्रस्ताव में कहा है कि न्यायपालिका को बदनाम करने की बाहरी ताकतों की साजिश को नाकाम करने के लिए वह पूरी तरह से प्रधान न्यायाधीश के साथ है।सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ इस सप्ताह नहीं बैठेगी। मंगलवार से शुरू होने वाली सुनवाई में भूमि अधिग्रहण कानून व विधि निर्माताओं को संसद या विधानसभा में वोट के लिए घूस लेने पर अभियोजन से छूट मिलनी चाहिए या नहीं समेत अन्य महत्वपूर्ण मामले सूचीबद्ध थे।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com