हरियाणा में ज्यों-ज्यों विधानसभा चुनाव की गहमागहमी चरम पर पहुंचने लगी है, सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत प्रचार में झोंक दी है। भाजपा की ओर से फिर से मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए गए नायब सिंह सैनी के कंधों पर हरियाणा में सत्ता में वापसी कराने का दारोमदार है।
जनता भाजपा को तीसरी बार क्यों चुने?
जपा ने बिना क्षेत्र व जातिवाद के समान रूप से पूरे हरियाणा का विकास किया है। भाजपा और कांग्रेस के 10-10 साल के कार्यकाल की तुलना करते हैं तो अंतर साफ पता चलता है। हमने लोगों का जीवन सुगम बनाने का काम किया है। भाजपा सरकार ने पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया है। हर जिले को फोरलेन से जोड़ा। हमने आयुष्मान-चिरायु कार्ड देकर लोगों को इलाज की चिंता से मुक्त किया है। हरियाणा के एक करोड़ लोगों को इसका लाभ मिला है।
2014 से पहले गरीब तबके के लोगों को इलाज कराने के लिए गहने-जमीन गिरवी रखने पड़ते थे। कांग्रेस ने 2014 से पहले हरियाणा के लोगों को सौ-सौ गज के प्लॉट देने का झांसा दिया था। उन्हें न प्लॉट के कागज मिले और न कब्जा। हमने उन लोगों को चिह्नित कर प्लॉट के कागज और कब्जा दिया है। मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना के तहत भाजपा सरकार ने 14 शहरों में 15,630 परिवारों को 30 गज के प्लॉट दिए हैं।
आपको कुछ और समय मिलता तो लोगों के लिए ज्यादा क्या काम कर पाते?
आपकी बात बिलकुल सही है। मैंने सीएम के रूप में अपना 100 दिन का एजेंडा तय किया था, लेकिन 56 दिन ही काम करने का मौका मिला। 44 दिन का एजेंडा तैयार था, लेकिन आचार संहिता लगने से काम रुक गए। 56 दिन में मैंने 126 फैसले लिए हैं। मैं हरियाणा के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि किसी के सम्मान में कोई कमी नहीं आने दूंगा। हरियाणा का समान रूप से विकास किया जाएगा। मैं युवाओं के साथ खड़ा हूं। मुझे इस बात की बहुत पीड़ा है कि हुड्डा साहब के भर्ती रोको गैंग ने 25 हजार युवाओं की भर्ती के रिजल्ट रोक दिए हैं। सात हजार और युवाओं के परिणाम आ चुके हैं। मगर इन्हें अभी जारी नहीं कर सकते। 32 हजार युवाओं की भर्ती का परिणाम मैं पहले जारी करूंगा और शपथ बाद में लूंगा।
किसान-पहलवान-जवान का नैरेटिव भाजपा को कितना प्रभावित कर रहा है?
कांग्रेस सिर्फ झूठ फैला रही है। राहुल गांधी बिना विजन के बयानबाजी करते हैं। किसान भाजपा की नीतियों को पसंद करता है। कांग्रेस शासन में करीब 1,100 करोड़ रुपये फसल खराबे का मुआवजा किसानों को दिया गया था। हमने साढ़े 13 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। हमने 14 फसलें एमएसपी पर खरीदी हैं और आगे से 24 फसलें एमएसपी पर खरीदने की घोषणा की है। साढ़े 12 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है। खेतों की सिंचाई के लिए भरपूर पानी भाजपा सरकार ने पहुंचाया है। हमने किसानों की पैदावार व आय बढ़ाने और खर्च कम करने का काम किया है।
इसके बाद भी गांवों में भाजपा प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। कहां कमी रह गई?
जब हमने 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने की घोषणा की तो किसान संगठनों ने सरकार के कदम की प्रशंसा की। किसानों ने दूसरे दलों को भी अपने राज्यों में एमएसपी पर सभी फसलें खरीदने को कहा। जब किसान सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं तो विरोध करने वाले कौन हैं यह समझा जा सकता है…मैं इस बारे में कुछ नहीं कह रहा।
कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा किया है, भाजपा ने नहीं?
कांग्रेस का घोषणापत्र झूठ का पुलिंदा है। हरियाणा से पहले हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना की जनता से भी कांग्रेस झूठे वादे कर चुकी है। हिमाचल प्रदेश की जनता से हर साल एक लाख युवाओं को नौकरियां देने, महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देने और 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया गया था। दो साल होने जा रहे हैं, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हुआ है। नई नौकरियां देने की जगह पुराने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। बिजली मुफ्त देने का वादा पूरा करने की जगह बिजली के दाम बढ़ा दिए गए। यही स्थिति कर्नाटक और तेलंगाना की है। हरियाणा में कहावत है कि पैर उतने ही पसारिए, जितनी लंबी चादर हो, लेकिन कांग्रेस की चादर अब फटने लगी है। हरियाणा के लोग अब कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाएंगे।
भाजपा मुफ्त की रेवड़ियों के खिलाफ रही है, पर इस बार महिलाओं को 21 सौ रुपये हर महीने और 500 रुपये में गैस सिलिंडर देने की घोषणा कर रही है। हरियाणा की वित्तीय स्थिति इतनी ठीक नहीं है। योजनाओं को कैसे लागू करेंगे। इसका क्या रोडमैप है?
हमारे पास पूरे संसाधन मौजूद हैं। रोडमैप तैयार करने के बाद ही इसे संकल्प पत्र में शामिल किया है। यदि आप देखें तो 2014 और 2019 के संकल्प पत्र में किए गए वादों को भाजपा ने सौ फीसदी धरातल पर उतारा है। 2024 के संकल्प पत्र को भी हूबहू धरातल पर उतारेंगे
भाजपा हमेशा से परिवारवाद के खिलाफ रही है। इसके बावजूद दस नेताओं के पारिवारिक सदस्यों को टिकट दिया गया है?
देखिए यह परिवारवाद नहीं है। परिवारवाद की परिभाषा तो यह है कि जवाहर लाल नेहरू के बाद राजीव गांधी, सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी। राहुल गांधी अध्यक्ष भी बनना चाहते हैं और प्रधानमंत्री पद के दावेदार बने रहना चाहते हैं। इसके बाहर की सोच इस परिवार की नहीं है। इन लोगों ने हरियाणा में भी इसी तरह के हालात बना दिए हैं। हरियाणा में हुड्डा ही सब कुछ हैं। इन लोगों ने अशोक तंवर, किरण चौधरी और कुमारी सैलजा को किनारे लगा दिया। इसी तरह से क्षेत्रीय दल इनेलो, जजपा और सपा में भी परिवारवाद है। यदि कोई अपना बच्चा मेहनत कर रहा है तो उसे टिकट देना हम परिवारवाद नहीं मानते। परिवारवाद का मतलब तो यह है कि एक दल को चलाने वाला एक ही परिवार है, जो अपनी मनमर्जी करता है। पंजाब का शिरोमणि अकाली दल भी परिवारवाद का शिकार हुआ है और वरिष्ठ नेता छोड़कर चल गए।
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल का पूरा फोकस अब हरियाणा में होने वाला है। वह भाजपा को कितनी टक्कर दे पाएंगे, असर होगा आप का?
किसी दल के आने से कोई असर नहीं होगा। कोई टक्कर नहीं है। वह खुद से नहीं आए हैं। कोर्ट ने जब उनसे कहा कि आपको मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा और घर भी खाली करना होगा, उसके बाद यहां आए। वरना वह तो सीएम की कुर्सी लेकर जेल चले गए थे। जो व्यक्ति यह कहता हो कि मैं कट्टर ईमानदार हूं और वह भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गया हो, उस पर कौन विश्वास कर सकता है। आतिशी को मैंने बधाई दी और कहा था कि केजरीवाल की तरह मत चलना। उसने दिल्ली की जनता का बहुत शोषण किया।
लेकिन वह तो कहते हैं कि हरियाणा में आप किंगमेकर होगी इस बार?
वह भ्रष्टाचार के किंगमेकर बनेंगे। इन्होंने भ्रष्टाचार में कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। सत्ता में आने से पहले वह कहते थे कि अगर हमारे किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो तुरंत इस्तीफा दिलवाकर जांच करवाएंगे। लेकिन जब खुद पर आरोप लगा तो कुर्सी नहीं छोड़ी। कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। हमने केजरीवाल से कहा कि पंजाब में आपकी पार्टी की सरकार है। हरियाणा को एसवाईएल का पानी दिलवा दो, लेकिन हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और। हरियाणा में आकर कुछ कहते हैं और पंजाब में कुछ।
अमित शाह कह चुके हैं कि भाजपा सरकार आई तो आप सीएम होंगे। इसके बावजूद राव इंद्रजीत और अनिल विज सीएम पद पर दावा ठोकते हैं। इसे आप कैसे देखते हैं?
दावा करना हर व्यक्ति का अधिकार है। मगर भाजपा में पार्लियामेंट्री बोर्ड है और हम सब उसके निर्देशानुसार ही काम करते हैं। दोनों हमारे वरिष्ठ नेता हैं और वह पार्टी के फैसलों को किस नजरिए से देखते हैं, यह उन पर निर्भर करता है। हमारे यहां पार्लियामेंट्री बोर्ड का ही अंतिम फैसला होता है। मुझे देख लीजिए। मेरी क्या औकात थी कि मैं मुख्यमंत्री बन जाऊं। मैं तो गरीब और पिछड़े परिवार का बेटा हूं। यह तो हमारे नेता मोदी जी, शाह जी, नड्डा जी और मनोहर लाल जी की सोच है कि गरीब परिवार के बेटे को भी आगे बढ़ाया जाए। मैं यह कभी नहीं सोचता हूं कि मैं मुख्यमंत्री बनकर बैठा हूं। मुझे तो पार्टी ने एक जिम्मेदारी दी है और मैं उस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूं।
पार्टी के कई कार्यकर्ता काफी मेहनत करते हैं और उनकी इच्छा होती है कि उन्हें भी चुनाव लड़ने का मौका मिले। मगर जिन्हें टिकट नहीं मिला वे बगावत पर उतार आए। कुछ की सीट बदली गई। ऐसा क्यों हुआ?
हर विधानसभा क्षेत्र में 15 से 20 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया था और सभी ने काम किया है। मगर कमल का फूल सिर्फ एक है और एक को ही मिलेगा। बाकियों को समझौता करना होगा। पार्टी के सामने कई बार ऐसी परिस्थिति बनती है कि वह चाहकर भी अपने कार्यकर्ता को टिकट नहीं दे सकती। यह स्वाभाविक है कि जब टिकट दूसरे के पास जाता है तो गुस्सा आएगा, मगर मेहनती कार्यकर्ता कभी पार्टी से नाराज नहीं होगा। जो गए हैं, उनका व्यक्तिगत कारण हो सकता है।
इस बगावत का कितना असर पड़ेगा?
कांग्रेस में देखिए कितना द्वंद्व है। बापू-बेटा तो बात कर लेते होंगे बाकी मुझे नहीं लगता है कि आपस में कोई बातचीत करता होगा। उदयभान को देखिए। हुड्डा साहब उन्हें 24 घंटे साथ लेकर चलते हैं। सिर्फ दिखाने के लिए। जिस दिन उदयभान ने कह दिया कि उन्हें कोई बड़ा पद चाहिए (मुख्यमंत्री का) तो उनका भी हाल वही होगा, जो अशोक तंवर का हुआ था। हुड्डा साहब उदयभान का सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं। मैंने उदयभान को एक दिन बोला भी था कि क्या आपको मिर्चपुर और गोहाना कांड नहीं दिखा। दलितों से इतना दुर्व्यवहार किया मगर आप कुछ नहीं बोलते।