देवो के देव भगवान् भोलेनाथ के बारे में तो सभी जानते है लोग उनकी कृपा पाने के लिए कई तरह से उनकी पूजा उपासना करते है भगवान् भोलेनाथ इतने भोले है की केवल जल चढाने मात्र से उन्हें प्रशन्न किया जा सकता है. भगवान भोलेनाथ के बारे में यह मान्यता है की जल और बेलपत्र चढाने मात्र से उन्हें प्रशन्न किया जा सकता है.
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अगर ऐसे में जल किसी पवित्र स्थान या तीर्थ स्थल या कावड़ यात्रा हो तो और भी शुभ होता है भक्त लोग श्रावण मास के दिन कावड़ यात्रा से जल लाकर भगवान भोले नाथ को जल चढाने से भगवान् शिव जल्दी प्रसन्न होते है और इस माह में भक्त लोग उन्हें प्रसन्न करने का कोई भी मोका नहीं गवाते है. ऐसा माना जाता है की श्रावण मास के दिन कवाड यात्रा का जल चढाने से ब्रह्महा, विष्णु, महेश भी प्रसन्न रहते है.
ज्योतिष के आधार पर कवाड यात्रा के दोरान भक्त लोग कवाड सड़क यात्रा करते है और जिसमे कि में भक्त लोग इस यात्रा के दोरान पीले वस्त्र धारण किये हुए रहते है जिससे की पीले वस्त्र धारण करने से ब्रहस्पति देव प्रसन्न रहते है और तीर्थो का जल भरकर लाने से चन्द्र देव प्रसन्न होते है इसी प्रकार यात्रा में सच्चे मन से अपने अच्छे आचरण रखने से शनि देव और राहू प्रसन्न रहते है यात्रा के दोरान अपने माता पिता और बड़े बुजुर्गो को सम्मान देने से सूर्य देव और पितृ देव प्रसन्न होते है.
प्राचीन काल से ही भगवान् शिव जी पर जल चढाने की परंपरा चली आ रही है ऐसा मानना है की सागर मंथन के दोरान निकला हुआ विष शंकर जी ने पी लिया था और विष पीने के बाद वे छटपटाने लगे और अपने शरीर से विष के प्रकोप को दूर करने के लिए हिमालय की और भागने लगे. देवगण भी भगवन शिव कि देह से विष को शांत करने के लिए जल लेकर उनके पीछे पीछे भागने लगे. और उस विष के प्रकोप को शांत करने के लिए शिव जी पर जल चढ़ाये तभी से भगवान शिवजी पर जल चढाने की परंपरा चली आ रही है.