सियासी गैंगस्टर विकास दुबे 25 साल से प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ में रहा

कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे पुलिस की पहुंच से दूर जरूर है. मोस्टवांटेड विकास दुबे खुद को सिर्फ गुनाहों की दुनिया तक सीमित नहीं रखना चाहता था बल्कि सियासी गलियारों में भी दखल रखता है.

वह अपना राजनीतिक गुरु पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिकिशन श्रीवास्तव को मानता है तो मौजूदा दो बीजेपी विधायकों से अपनी नजदीकियां को जाहिर करता है. यह बात खुद विकास दुबे ने बताई है.

दरअसल, विकास दुबे 25 साल से प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ रहा है. विकास दुबे 15 साल तक बसपा के साथ रहा तो 5 साल बीजेपी में और 5 साल सपा में रहा है.

पंचायत चुनाव के दौरान उसे बसपा से समर्थन मिला था जबकि उसकी पत्नी को चुनाव में सपा का समर्थन हासिल रहा था. शायद इसीलिए कोई भी दल विकास दुबे के खिलाफ खुलकर बोलने में संकोच कर रहा है.

उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के दौरान ही विकास दुबे ने बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में अपना रसूख कायम किया था.

इस दौरान शातिर अपराधी विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए. यहीं नहीं, इसके अलावा जेल में बंद रहते हुए भी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचयात चुनाव भी लड़ा था और जीत हासिल की थी.

मोस्टवांटेड विकास दुबे का 2006 का वीडियो सामने आया है. वीडियो में विकास दुबे कहता है कि उसे सियासत में लाने का श्रेय पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिकिशन श्रीवास्तव का है और वही मेरे राजनीतिक गुरु हैं. विकास दुबे वीडियो में कह रहा है, ‘मैं अपराधी नहीं हूं, मेरी जंग राजनीतिक वर्चस्व की जंग है और ये मरते दम तक जारी रहेगी.’

बता दें कि, हरिकिशन श्रीवास्तव कानपुर के चौबेपुर विधानसभा सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं. वह बसपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि, वो पहली बार विधायक जनता पार्टी से बने और बाद में जनता दल और फिर बसपा का दामन थामा और विधानसभा पहुंचते रहे हैं. हरिकिशन श्रीवास्तव दिग्गज नेता माने जाते थे और विकास दुबे उनके करीबी समर्थकों में से एक था.

1996 में कानपुर की चौबेपुर विधानसभा सीट से हरिकिशन श्रीवास्तव बसपा से चुनाव लड़े थे और उनके खिलाफ बीजेपी से तत्कालीन जिला अध्यक्ष संतोष शुक्ला चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में हरिकिशन ने जीत दर्ज की थी.

राजनाथ सिंह 2000 में यूपी के सीएम बने तो उन्होंने संतोष शुक्ला को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बनाया, लेकिन सियासी रंजिश में 11 नवंबर 2001 कानपुर के थाना शिवली के अंदर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. संतोष शुक्ला की हत्या में विकास दुबे का नाम आया था, लेकिन कोर्ट से बरी हो गया था.

गैंगस्टर विकास दुबे का साल 2017 का वीडियो भी सामने आया है. इस वीडियो में 2017 में हुई एक हत्या के संबंध में एसटीएफ द्वारा उससे पूछताछ हो रही है.

इसमें विकास दुबे ने बताया कि कैसे एक हत्या में उसका नाम कथित रूप से डाला गया था, जिसे निकलवाने में कुछ नेता उसकी मदद कर रहे थे.

इस वीडियो में विकास दुबे बिल्हौर से बीजेपी विधायक भगवती प्रसाद सागर और बिठूर से बीजेपी विधायक अभिजीत सांगा के नाम का जिक्र किया है. इसके अलावा विकास ने ब्लॉक प्रमुख राजेश कमल, जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डन कटियार के नाम भी लिए थे. विकास ने कहा है कि इन नेताओं से उसके राजनीतिक संबंध हैं.

हालांकि, बीजेपी के दोनों विधायकों ने विकास दुबे के साथ अपने संबंध होने से इनकार किया है. अभिजीत सांगा पहले कांग्रेस में थे और फिलहाल बीजेपी से विधायक हैं. वहीं, भगवती प्रसाद सागर बीएसपी से बीजेपी में आए हैं. बिल्हौर विधानसभा से विधायक भगवती प्रसाद सागर 2017 में ही बीजेपी में शामिल हुए थे. वहीं अभिजीत सांगा भी 2017 में ही बीजेपी में आए और बिठुर से विधायक बने हैं.

दरअसल, अपराध की दुनिया में नाम कमाने के बाद विकास दुबे की दहशत का आलम ये था कि किसी भी चुनाव में वह जिस पार्टी या उम्मीदवार को समर्थन देता था, पूरे गांववाले उसे ही वोट देते थे. यही एक बड़ी वजह थी कि चुनाव के वक्त इन गांवों में वोट पाने के लिए सपा, बसपा और भाजपा के कुछ नेता उसके संपर्क में रहते थे. ये उसकी दहशत का ही नतीजा था कि विकास दुबे 15 सालों से जिला पंचायत सदस्य के पद पर कब्जा बनाए हुए है.

विकास दुबे खुद तो जिला पंचायत सदस्य है और साथ ही उसने अपनी पत्नी ऋचा दुबे को भी घिमऊ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़वाया था.

जिसमें वह जीत गई थी. इस चुनाव में सपा ने उसे समर्थन किया था. इतना ही नहीं उसने अपने चचेरे भाई अनुराग दुबे को पंचायत सदस्य बनवाया था. बताया जाता है कि उसका हर पार्टी के नेताओं के साथ उठना बैठना ही नहीं बल्कि गहरे राजनीतिक संबंध भी हैं.

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