महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित श्री हजूर साहिब से लौटे सिख श्रद्धालुओं के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से पंजाब में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के ट्वीट ने इस मामले में आग में घी की तरह काम किया है। अकाली दल व एसजीपीसी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय ही नहीं, पूरी कांग्रेस पार्टी को घेरते हुए कठघरे में खड़ा किया है।
दिग्विजय ने अपने ट्वीट में पंजाब में श्रद्धालुओं से कोरोना बढऩे पर सवाल किया था कि क्या इसकी तब्लीगी मरकज से कोई तुलना है? इस पर नाराजगी जताते हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि दिग्विजय ने अपने ट्वीट से एक बार फिर सिखों की साख को खराब करने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का पुराना माइंडसेट है जो हर समस्या के लिए सिखों को दोषी ठहराने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि कांगे्रस ने पहले भी आतंकवाद को सिखों से जोड़ कर सिखों की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब किया था। अब कोरोना वायरस के प्रसार से जोड़कर कांग्रेस नेता फिर वही प्रयास कर रहे हैं।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इस बयान में नफरत झलकती है।
भारत का हर नागरिक समान है। सिखों को निशाना बनाया जाना किसी भी तरह से सहन नहीं होगा। कांग्रेस नेताओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए, बल्कि कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों को मानसिक तौर पर हो रही परेशानी से बाहर निकालने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
ट्विटर पर दिग्विजय सिंह की काफी आलोचना हो रही है। किसी ने उनकी तुलना मौलाना साद से कर डाली तो किसी ने उन्हें दाऊद इब्राहिम का मुंह बोला भाई बना डाला। सिखों की तब्लीगियों से तुलना को असंभव बताते हुए कई लोगों ने कहा कि सिख श्रद्धालु चिकित्सकीय जांच से छिपे नहीं और न ही उन्होंने किसी पर हमला करने की कोशिश की। किसी श्रद्धालु ने इस बीमारी को प्रसारित करने का प्रयास नहीं किया।
एक ट्वीट में दिनेश ने कहा कि सिख समुदाय मानवता की निष्काम सेवा करता रहा है और कभी अल्पसंख्यक होने का मुद्दा नहीं उठाया। ऐसे में आकाश और पाताल की तुलना कोई सड़ा हुआ कांगे्रसी दिमाग ही कर सकता है।
पंजाब की परिवहन मंत्री रजिया सुल्तान ने महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग के मंत्री अशोक चव्हाण के बयान को सिरे से खारिज कर दिया है। चव्हाण ने कहा था कि श्रद्धालुओं को पंजाब छोडऩे गए महाराष्ट्र के ड्राइवरों में पंजाब के ड्राइवरों से कोरोना फैला।
सुल्ताना ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे चव्हाण को तथ्यों की पुष्टि के बिना भ्रामक बयान नहीं देना चाहिए। हकीकत में पहले जत्थे में महाराष्ट्र से पंजाब लौटे 860 श्रद्धालुओं को लाने वाले सभी 31 वाहनों के ड्राइवर महाराष्ट्र के थे।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के पहले तीन समूह निजी बसों से भेजे गए थे जिनका प्रबंध नांदेड़ साहिब से किया गया था। तख्त श्री हजूर साहिब ट्रस्ट की तरफ से सात बसों का पहला जत्था 23 अप्रैल की रात, 11 टैंपो ट्रैवलर्स का दूसरा जत्था 24 अप्रैल देर रात और 13 बसों का तीसरा जत्था 25 अप्रैल देर रात पंजाब के लिए चला था।
ये यात्री क्रमश: 26, 27 व 28 अप्रैल को पंजाब पहुंचे थे। निजी वाहनों में एक में श्रद्धालु पॉजिटिव पाए गए थे और इनमें नांदेड़ से संबंधित एक बस का ड्राइवर भी पॉजिटिव पाया गया।