सिटी की लाइफ लाइन सुखना झील पर मेहमान परिंदों में डेरा डालना शुरू कर दिया है। पहाड़ी क्षेत्रों में जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है बर्फ गिरने लगे हैं मेहमान परिंदों ने चंडीगढ़ का रुख करना शुरू कर दिया है अब ये मेहमान परिंदे फरवरी मार्च तक यही रहेंगे। हालांकि इस बार पिछले सालों के मुकाबले सुखना झील पर मेहमान परिंदे काफी कम संख्या में आए हैं।
चंडीगढ़ बर्ड क्लब ने सुखना झील सहित ट्राइसिटी के प्रमुख स्थानों पर ऐसे परिंदों की गणना के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया था इस दौरान अलग-अलग टीमें इन जगहों पर पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां और उनकी संख्या को गिनने के लिए पहुंची थी। सुखना झील पर कुल 381 पक्षी देखे गए।
अल सुबह ये टीमें पक्षियों को गिनने के लिए पहुंची थी। इस दौरान घग्गर डैम सिसवा डैम और जयंती डैम पर पक्षियों की गणना की गई। सुखना झील पर रूडी शेल्डक जिसे ब्राह्मणी डक भी कहते हैं सबसे ज्यादा 182 देखे गए। दूसरे सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पक्षियों में कामन पोचार्ड शामिल रहा। 55 कामन पोचार्ड झील पर देखी गईं। इसके बाद ग्रेट कोरमोरेंट सबसे ज्यादा देखे गए। इनकी संख्या 31 रही। सुखना झील और सभी डैम पर 99 प्रजातियों के कुल 1200 पक्षी देखे गए। इनमें 49 प्रजातियों के पक्षी पानी में रहने वाले पाए गए। वहीं, 40 प्रजातियों के पक्षी ऐसे रहे जो पानी पर निर्भर नहीं रहते l
हर वर्ष सर्दियों की शुरुआत में होती है पक्षी गणना
हर साल सर्दियां शुरू होने के साथ ही पक्षियों की गणना की जाती है। यह देखा जाता है कि इनकी संख्या में कितनी बढ़ोतरी हो रही हैl सुखना झील का जलस्तर अगर ज्यादा होता है तो पक्षी कम संख्या में पहुंचते हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें गहरे पानी में भोजन ढूंढ़ने में परेशानी होती है।
इस वर्ष सुखना झील में जलस्तर बहुत ज्यादा है। बरसात के सीजन में कई बार पानी अधिक होने पर ऐसे रेगुलेटरी एंड से घग्गर नदी में छोड़ा गया। इस वजह से पक्षियों की संख्या कब मिल रही है। वर्ष 2016 में सबसे ज्यादा पक्षी सुखना झील पर देखे गए थे। उस दौरान सुखना का बड़ा हिस्सा सूख गया था