नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन तीन महीने से जारी है। गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही किसानों ने लंगर के मेन्यू में भी बदलाव कर दिया है। प्रदर्शन स्थल पर मिलने वाली खीर-पूरी और पनीर की सब्जी की जगह अब दलिया और राजमा चावल ने ले ली है। किसान संगठनों का कहना है कि धरना स्थल पर किसानों में डिहाइड्रेशन के मामले में बढ़ रहे हैं इसके चलते खाने में बदलाव किया गया है।
बॉर्डर पर लंगर में सेवा देने वाले हरप्रीत सिंह ने मीडिया को बताया कि मौसम में बदलाव होने के चलते लंगर के मेन्यू में भी बदलाव कर दिया है। ठंड के मौसम में सुबह से देर रात तक चाय का दौर चलता रहता था। वहीं लंगर में खीर, पूरी, छोले और पनीर की सब्जी के अलावा भी कई प्रकार की सब्जियां दिनभर बनाई जाती थीं। हजारों किसान रोज लंगर में आते थे, लेकिन पहले से अब किसानों की संख्या कम हो गई है।
उन्होंने आगे बताया, किसानों की कम संख्या के चलते और गर्मी का मौसम आने के कारण भोजन सूची में बदलाव किया है। सुबह राजमा चावल या छोले चावल होते हैं। दिन के भोजन में दाल और रोटी या दलिया होता है। वहीं रात में दाल-सब्जी होती है। इसके अलावा दिन में रायता और लस्सी भी किसानों को दी जाती है।
यूनाइटेड सिख संगठन के मेडिकल कैंप के डायरेक्टर प्रीतम सिंह ने मीडिया को बताया, सिंघु बार्डर पर किसानों में डिहाइड्रेशन के केस बढ़ रहे हैं। हर दिन करीब 10 से 15 किसान हमारे पास आ रहे हैं। बढ़ते मामले के चलते हम किसानों को संतुलित और हल्का भोजन करने की सलाह दे रहे हैं।
डिहाइड्रेशन के बढ़ते मामलों पर किसान नेताओं ने मीडिया से कहा, मौसम में बदलाव होने और किसानों की सेहत को देखते हुए हमने मेन्यू में बदलाव की सलाह दी है।
इधर, गर्मी का असर भी बॉर्डर पर साफ नजर आ रहा हैं। छोटे पंडाल की जगह अब बड़े-बड़े खुले पंडाल लगाए जा रहे हैं ताकि कई किसान एक साथ यहां आराम कर सकें। यहां पर कूलर से लेकर पंखे तक लगाए जा रहे हैं ताकि किसानों को गर्मी से परेशान नहीं होना पड़े। इसके अलावा ठंड से बचने के लिए जो पंडाल अब तक बंद किए हुए थे, उन्हें खोल दिया गया ताकि बाहर की ताजी हवा किसानों को मिलती रहे।