NEW DELHI: कहा जाता है कि सेक्सुअल एडवर्टिजमेंट से सामान के बिक्री में मदद मिलती है। लेकिन एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि सामान के ब्रिक्री में सेक्सुअल एडवर्टिजमेंट से काम नहीं चलता है।अभी अभी : ईद पर लगा पाकिस्तान को गहरा सदमा, मच गयी त्राहि-त्राहि, पूरे देश में शोक का माहौल
अमेरिका के इलिनोइस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और रिसर्च रिपोर्ट के मुख्य लेखक जॉन विट्र्ज ने कहा कि “हमने पाया है कि लोग सेक्सुअल एडवर्टिजमेंट को सामान्य से ज्यादा याद रखते हैं, लेकिन विज्ञापनों को याद रखने का प्रभाव उनमें अंकित ब्रांड या उत्पादों की खरीद पर नहीं पड़ता।”
शोध बताता है कि यौन आकर्षण संबंधी विज्ञापनों में अंकित ब्रांडों को लोग ज्यादा याद रखना पसंद नहीं करते। साथ ही उनकी इन ब्रांडों के प्रति एक तरह की नकारात्मक छवि रहती है। शोध में पता चला है कि लोगों ने इस तरह के विज्ञापनों के उत्पादों को खरीदने में भी कोई रुचि नहीं दिखाई। विट्र्ज ने कहा, “हमने यौन आकर्षण संबंधी विज्ञापनों में दिखाए गए उत्पादों को खरीदने के लोगों के इरादे के दौरान इन विज्ञापनों का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पाया है।”
उन्होंने कहा, “यह आम धारणा है कि यौन आकर्षण संबंधी विज्ञापन उत्पादों को बेचने में मदद करते हैं। हमारे अध्ययन के अनुसार यह धारणा सही नहीं है। अध्ययन के दौरान कहीं भी इन विज्ञापनों का उत्पाद की खरीद पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा।” अध्ययन के लिए टीम ने पहले किए गए 78 सहकर्मियों के अध्ययनों का अपनी तरह का पहला मेटा-विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने विज्ञापन में यौन आकर्षण के प्रभावों का परीक्षण किया। इस अध्ययन की रिपोर्ट आप इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवरटाइजिंग में ऑनलाइन देख सकते हैं।