सामने आई दर्दनाक दास्तां: दिल पर पत्थर रखकर पिता ने मुस्कुराते हुए पूरी की बेटी के विवाह की रस्में

राजस्थान में बुधवार को सुबह सवाई माधोपुर-कोटा हाईवे पर बूंदी जिले में मेज नदी (Mage River) में बस गिरने से 24 लोगों की मौत हो गई थी. ये सभी लोग सवाई माधोपुर जिले के नीम चौकी निवासी रमेश चंद्र की बेटी की शादी (Marriage) में भात जा रहे थे. दुल्हन के ननिहाल पक्ष के 24 लोगों की हादसे में एक साथ मौत की सूचना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया.

काल के क्रूर हाथों परिवार के 24 लोगों के मौत के शिकार होने के बावजूद भी शादी समारोह में मौजूद लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ सील लिए. सभी ने दिल पर पत्थर रखकर जैसे-तैसे करके बेटी के हाथ पीले कर दिए. लेकिन दुल्हन और उसकी मां को इस बात का अहसास तक नहीं होने दिया कि परिवार में इतना बड़ा हादसा हो गया है. इस पूरे घटनाक्रम में रमेशचन्द्र ने सुबह हादसे से लेकर रात को बेटी के विदा होने तक पूरे दिन जो दोहरा जीवन जीया वह शायद ही कोई दूसरा जी पाए. हादसे से अंदर तक टूट चुके रमेशचन्द्र बेटी और पत्नी से नजरें बचाकर भले ही इधर-उधर छिपकर बार-बार सिसकियां भरते रहे हों, लेकिन उनके सामने इस बात का तनिक भी अहसास नहीं होने दिया कि वह किस मुश्किल घड़ी और द्वंद से गुजर रहे हैं.

हादसे के समय मैरिज गार्डन में चल रहा थ नाच-गाना
रमेशचन्द्र का पूरा परिवार बुधवार को सुबह मैरिज गार्डन में बेटी के विवाह तैयारी में जुटे थे. सुबह 11 बजे भात भरने की रस्म होनी थी. रमेशचन्द्र की पत्नी भात की तैयारियों में मशगूल थी. वह पलक पावड़े बिछाए भातवियों के आने का इंतजार कर रही थी. इसी दौरान रमेशचन्द्र को सुबह जैसे ही सूचना मिली की भात लेकर आ रहे लोगों की बस मेज नदी में गिर गई और उसमें सवार लोगों में 24 की मौत हो गई तो वह गश खाकर गिर पड़े. उस समय मैरिज गार्डन के शानदार हॉल में उनका पूरा परिवार मौजूद था. कोई नाच रहा था तो कोई शादी की दूसरी रस्मों में व्यस्त था.

जैसे ही बाकी रिश्तेदारों को घटना का पता चला तो वे रमेशचन्द्र के पास पहुंचे. वहीं, इस हादसे से अनजान बारात जयपुर से रवाना हो चुकी थी. रिश्तेदारों ने रमेशचन्द्र को ढाढस बंधाते हुए हिम्मत से काम लेकर विवाह की रस्में पूरी करने की राय दी. लेकिन, समस्या यह थी कि दुल्हन और उसकी मां को कैसे समझाया जाएगा. इस पर सभी रिश्तेदारों ने फैसला किया कि इस बारे में उन्हें भनक भी नहीं लगने दी जाएगी और रमेश को कुछ समय के लिए दोहरा जीवन जीने के लिए तैयार किया गया.

कुछ माह पहले ही रमेशचन्द्र के बेटे की हुई थी मौत
दोपहर तक जब भातवी शादी में नहीं पहुंचे तो रमेशचन्द्र की पत्नी बार-बार उनसे पूछती रही. इस पर रमेश और कुछ परिजनों ने बताया कि बुर्जुग सास (दुल्हन की नानी) की तबीयत ज्यादा खराब होने कारण भात का कार्यक्रम रोकना पड़ा है. इसलिए उनका पूरा परिवार वहां है. दुल्हन और उसकी मां के मोबाइल बहाने से उनसे ले लिए गए. रात को फेरे होने तक रमेश न जाने कितनी बार कभी इस कोने में तो कभी उस कोने में जाकर सिसकते रहे, लेकिन बेटी और पत्नी के सामने उन्होंने चेहरे पर इस दर्द की शिकन तक न आने दी. रमेशचन्द्र के 20 वर्षीय बेटे की कुछ माह पहले ही अचानक मौत हो गई थी. लिहाजा रमेशचन्द्र अपनी इस इकलौती संतान के दामन में सारी खुशियां डाल देना चाहते थे, लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था.

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