केदारनाथ धाम करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है। लेकिन साल 2013 की आपदा के बाद इस धाम के साथ कई मसलों पर राजनीति और बयानबाज़ी का दौर जारी है। कभी आपदा को लेकर तो कभी पुनर्निर्माण कार्यो को लेकर और कभी पीएम मोदी के टूर को लेकर चर्चाएं जारी रहती हैं। लेकिन इस बार अब चर्चा हो रही है कि आखिर केदारनाथ में इतना निर्माण कार्य क्यों हो रहा है।
सरकार कहती है कि नया केदारनाथ मोदी का सपना है। तो वहीं कांग्रेस कहती है कि ये काम तो उनके समय मे ही शुरू हो गए थे और इसमें नया क्या है। लेकिन केदारनाथ धाम में काम करने वाले वैज्ञानिक कह रहे हैं कि जब 2013 के बाद हालात बदल गए और सरकार ने पूर क्षेत्र पर वैज्ञानिक और तकनीकी रिपोर्ट तैयार करवाई तो अब उसका पालन क्यों नहीं हो रहा है
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. डीपी डोभाल की माने तो वो चोरबाड़ी ग्लेशियर पर अध्ययन कर रहे हैं। आपदा के बाद के हालात और बड़े पैमाने पर रिसर्च किया। जिसकी रिपोर्ट सरकार को दी। उनकी नजर में जो भारी निर्माण वहां हो रहा है वो केदारपुरी के लिए सही नहीं है। सरकार ने उनकी कुछ राय को तो माना लेकिन कच्चे स्थान पर इतना निर्माण कार्य सही नहीं है। वो कभी भी खतरा पैदा कर सकता है और कभी भी मंदिर को खतरा पैदा हो सकता है।
वहीं वैज्ञानिकों की इस बात से बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष भी इत्तेफाक रख रहे हैं। गोदियाल ने कहा कि मैं लगातार इस बात को कह रहा हूं। वहां जो भी निर्माण कार्य हो रहे है उन पर विषेशज्ञों की राय जरूर ली जाए। वे मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री से अनुरोध कर रहे है। गोदियाल ने कहा कि वहां ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे भविष्य में केदारपुरी में मानव निर्मित खतरा पैदा हो।
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