सहायक प्रोफेसर बलविंदर कौर का हुआ अंतिम संस्कार

अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया और मंत्री हरजोत बैंस का नाम डीडीआर में न लिखे जाने पर एतराज जताया। बिक्रम सिंह मजीठिया देर रात एक बजे सरकारी अस्पताल पहुंचे और लगभग चार बजे तक वहीं रहे।
सहायक प्रोफेसर बलविंदर कौर का गुरुवार को गांव बस्सी में अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार से पहले सरकारी अस्पताल में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात रही। तीन डॉक्टरों के बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया। काफी देर तक परिवार ने शव नहीं लिया। परिवार ने मृतक बलविंदर कौर की पांच वर्षीय बेटी को सरकारी नौकरी देने की मांग रखी।
परिवार ने सरकारी नौकरी का वादा लिखित में मांगा। इसके बाद डीसी प्रीती यादव और एसएसपी विवेकशील सोनी ने परिवार को भरोसा दिया। बाद में उन्होंने लिखित में दिया कि बच्ची को समय आने पर योग्यता अनुसार रोजगार दिया जाएगा। इसके बाद भारी पुलिस सुरक्षा में शव को बलविंदर कौर के ससुराल ले जाया गया। वहां घर के बाहर से ही शव को गांव बस्सी स्थिति मायके लाया गया। इसके बाद सतलुज नदी किनारे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया।

बताया जा रहा है कि बुधवार की देर शाम एसएसपी विवेकशील सोनी, देर रात डीआईजी गुरप्रीत सिंह भुल्लर और डीसी प्रीती यादव ने परिवार व यूनियन से मुलाकात की थी। इस दौरान परिवार को अंतिम संस्कार करने के लिए सहमत कर लिया गया लेकिन यूनियन के साथ हुई बैठक में कोई हल नहीं निकला। सहायक प्रोफेसर व लाइब्रेरियन फ्रंट के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इस दौरान यूनियन की प्रधान जसविंदर कौर और अन्य सदस्यों को सिविल अस्पताल के गेट से अंदर नहीं जाने देने पर पुलिस के साथ धक्कामुक्की भी हुई।

बलविंदर कौर का शव ले जाने तक यूनियन के सदस्य सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। यूनियन की प्रधान जसविंदर कौर ने कहा कि सरकार ने सुसाइड नोट के आधार पर कार्रवाई नहीं की जबकि सुसाइड नोट में लिखी बातों को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस को बचाने में लगी है।

जानकारी के अनुसार बुधवार देर रात पुलिस ने एक डीडीआर की कॉपी परिवार को दी है। इसमें सुसाइड नोट और मृतक के भाई हरदेव सिंह बयान को जांच का हिस्सा बनाने की बात कही गई है। उधर, अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाया और मंत्री हरजोत बैंस का नाम डीडीआर में न लिखे जाने पर एतराज जताया। बिक्रम सिंह मजीठिया देर रात एक बजे सरकारी अस्पताल पहुंचे और लगभग चार बजे तक वहीं रहे।

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