बच्चों की स्किन वयस्कों की स्किन से पतली होती है. सही देखभाल से उस में रैडनैस या रैशेज होने की संभावना नहीं रहती. इस के अलावा सर्दी के मौसम में ड्राई स्किन के लिए ऐक्स्ट्रा पोषण की जरूरत होती है, क्योंकि बच्चों की स्किन वयस्कों की स्किन से 5 गुना नाजुक होती है.
ऐसे में सर्द हवाओं और ठंड से वह डैमेज होने लगती है. बाहर की ठंड और घर के अंदर की हीट से स्किन के सूखा होने और उस पर रैशेज होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है. इस के अलावा जिन बच्चों की स्किन शुष्क किस्म की होती है, उन के लिए यह मौसम और भी घातक हो जाता है.ठंड के मौसम में बच्चों की स्किन के प्रति थोड़ी सी भी अनदेखी घातक सिद्ध हो सकती है. अत: पेश हैं कुछ सु झाव:
– ठंड में बच्चे की नहाने की अवधि कम रखें. नहाने के बाद 5 मिनट में उसे मौइस्चराइज कर कपड़े पहना दें. कुनकुने पानी से स्नान कराएं, सोप फ्री क्लींजर्स का प्रयोग करें ताकि स्किन का औयल बना रहे.
– अधिक ऊनी कपड़े पहनाने से हीट रैश की संभावना अधिक बढ़ जाती है. इस के लिए बच्चों की स्किन की नियमित जांच करते रहना चाहिए. हीट रैश होने पर हलके और मुलायम ऊनी कपड़े पहनाना ही सही रहता है.
– जाड़े में बच्चों के डायपर को थोड़ेथोड़े अंतराल पर बदलें और डायपर एरिया को अच्छी तरह साफ कर दें, क्योंकि गीले डायपर से इन्फैक्शन और रैशेज होने का खतरा रहता है. बच्चे की स्किन को हमेशा हलके हाथों से साफ करें.
– फटे होंठ आम समस्या है. 5 साल से कम उम्र के बच्चों के होंठ अधिक फटते हैं. इस के लिए वैसलीन का प्रयोग करना ठीक रहता है.
– बच्चों के लिए मौइस्चराइजिंग क्रीम का प्रयोग उन की ड्राई और खारिश वाली स्किन पर करें. उस क्रीम में डाइमेथिकोन, सिरामाइडस, लिकोरिस, विटामिन ई आदि होना जरूरी है. ये बच्चों की स्किन को नम रखते हैं. सुगंध और कलर फ्री उत्पाद, जिन में पीएच बैलेंस हो उन्हें चुनें.
– जब बच्चा थोड़ा बड़ा होने लगता है तो कई बार उस की स्किन पर सफेद पैचेस दिखाई देने लगते हैं. ऐसे में अच्छे मौइस्चराइजर का प्रयोग करने से पैचेस गायब हो जाते हैं. 18 महीने के बाद बच्चे को विंटर में भी सनस्कीन लगाना अच्छा रहता है.
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