इस बार मौसम पर ला नीना का प्रभाव रहेगा और कड़ाके की ठंड होगी। हालांकि अभी तापमान सामान्य से अधिक है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सप्ताह भर बाद मौसम में बदलाव होना शुरू हो जाएगा।

शुष्क मौसम के कारण पिछले चार पांच साल के बाद इस बार अक्तूबर में दिन का तापमान नार्मल से एक से तीन डिग्री ज्यादा चल रहा है। रात का तापमान एक दो दिन से कम हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि तीन-चार साल में ऐसा होता है।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि एक सप्ताह बाद न्यूनतम तापमान दो डिग्री नीचे जा सकता है। पर्वतीय जनपदों में तीन-चार दिन में हल्की बारिश और ऊंचाई वाली जगहों पर बर्फबारी भी हो सकती है।
इधर, पंतनगर विवि के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह के अनुसार, कमजोर ला नीना की वजह से सर्दियों में इस बार कड़ाके की ठंड रहेगी, क्योंकि यह ठंडी हवाओं के अनुकूल होता है। एल नीनो और ला नीना का मौसम के रुख को तय करने में काफी प्रभाव रहता है।
ला नीना समुद्री प्रक्रिया है, जिसमें समुद्र में पानी ठंडा होने लगता है। जिसका हवाओं पर भी असर होता है और तापमान पर प्रभाव पड़ता है।
जबकि एल नीनो में इसके विपरीत होता है। यानी समुद्र का पानी गर्म होता है और इसके प्रभाव से गर्म हवाएं चलती हैं और दोनों का असर मानसून पर भी पड़ता है।
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