मध्य प्रदेश में सरदार सरोवर बांध का जल स्तर बढ़ने पर डूब क्षेत्र में पानी भरने (बैक वाटर) से पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है। डूब क्षेत्र में पानी भरने से करोड़ों पेड़ सड़ने लगे हैं। इनसे मीथेन गैस उत्सर्जित हो रही है। वहीं, कल-कल कर बहने वाली नर्मदा का बहाव थम गया है। वह अब सरोवर का रूप ले चुकी है। इससे बैक वाटर के आसपास दो से पांच किमी के क्षेत्र में तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है।

पानी में डूबे पेड़ों के लिए मिले मुआवजे से पौधारोपण भी आसपास न करते हुए 400 किमी दूर होशंगाबाद जिले में कर दिया गया। सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से मध्य प्रदेश के आलीराजपुर, धार, बड़वानी और खरगोन जिलों के 192 गांव डूब क्षेत्र में हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार इन गांवों की करीब 41 हजार एकड़ जमीन डूब गई है। इस जमीन पर लगे पांच लाख से अधिक पेड़-पौधे अगस्त में पानी भरने के बाद से डूब चुके हैं। लंबे समय तक पानी में रहने से ये सड़ने लगे हैं। कुक्षी तहसील में डूब क्षेत्र के 24 गांवों में ऐसे पेड़ों की संख्या शासकीय आंकड़ों के अनुसार लगभग छह हजार है।
नर्मदा नदी और सरदार सरोवर बांध के नफे-नुकसान पर शोध करने वाले इंदौर के पर्यावरणविद चिन्मय मिश्र कहते हैं कि पेड़ अधिक समय तक पानी में रहता है तो वह सड़ने लगता है और मीथेन गैस उत्सर्जित करने लगता है। यह गैस तापमान बढ़ाती है। उनका दावा है कि ऐसे में बैक वाटर के आसपास दो से तीन डिग्री तापमान अधिक रहेगा। इससे सर्दियों में भी इलाका अन्य क्षेत्रों की तुलना में गर्म रहेगा।
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