सरकार ने पंजाब -मैनेजमेंट एंड ट्रांसफर ऑफ म्युनिसिपल प्रॉपर्टी एक्ट-2020 भी पास कर दिया है। पिछले समय में शहरी प्रॉपर्टी अलॉटियों और किरायेदारों को ट्रांसफर या किराये पर दी गई थीं, लेकिन इसके लिए कोई कानून नहीं था। शहरी प्रॉपर्टी के अनधिकृत कब्जे झगड़े और मुकदमेबाजी में उलझे हुए हैं। इससे नगर पालिकाओं को राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस बिल के पास होने के बाद नगर निगम, नगर काउंसिल अपनी प्रॉपर्टी को लेकर फैसला ले सकेंगे।
वहीं, झुग्गियों में रहने वालों की प्राथमिक जरूरतों के हल के लिए और शहरी क्षेत्रों के विकास के लिए ‘पंजाब स्लम डिवैलर्स (स्वामित्व अधिकार) एक्ट-2020 बुधवार को पंजाब विधानसभा में पास हो गया। बिल के पास होने के बाद राज्य सरकार झुग्गियों में रहने वालों और राज्य के दूसरे लोगों को प्राथमिक नागरिक सुविधाएं और स्वामित्व का अधिकार देने के लिए वचनबद्ध होगी। अनधिकृत कब्जे के कारण इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों को सुविधाएं नहीं मिलतीं, लेकिन अब उन्हें भी सभी सुविधाएं मिल सकेंगी।
सरकार तय करेगी प्राइवेट मेडिकल यूनिवर्सिटीज की फीस
पंजाब सरकार ने निजी संस्थाओं की स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटीज की फीस को निर्धारित करने के लिए ‘द पंजाब प्राइवेट हेल्थ साइंसेज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस एक्ट -2006’ में संशोधन का बिल विधानसभा में पास हो गया। इस बिल के पास होने से राज्य सरकार की ओर से तय की गई फीस प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के लिए भी लागू होगी। साल 2006 का एक्ट यह तय करता है कि राज्य सरकार निजी मेडिकल संस्थाओं की ओर से चलाए जा रहे स्वास्थ्य विज्ञान के कोर्सों के फीस ढांचे और मैनेजमेंट व सरकारी कोटे के दरमियान सीटों का विभाजन निर्धारित कर सकती है।
एक्ट के मुताबिक मेडिकल कॉलेजों और अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं की फीस समय -समय पर राज्य सरकार तय करती है। इसके अंतर्गत प्राइवेट संस्थाओं में एमबीबीएस कोर्स की फीस ओपन और सरकारी कोटे (50 प्रतिशत) की सीटों के लिए 2.20 लाख रुपये सालाना है और मैनेजमेंट कोटे की सीटों के लिए यह फीस 6.60 लाख रुपए सालाना है।
अतिरिक्त उधार लेने के लिए वित्त जिम्मेवारी व प्रबंध संशोधन बिल पास
विधानसभा में कुल राज्य घरेलू उत्पादन (जीएसडीपी) की तीन प्रतिशत की उधार सीमा के अलावा वर्ष 2019-20 के लिए 928 करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार लेने के लिए पंजाब वित्त जिम्मेदारी व बजट प्रबंध (संशोधन) बिल 2020 पास कर दिया है। वर्ष 2019-20 के दौरान केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी राशि की तबदीली में हुई कमी को ध्यान में रखते हुए राज्यों को राहत देने के लिए केवल एकमुश्त विशेष वितरण के तौर पर 29 राज्यों को वर्ष 2019-20 के दौरान उनकी प्रात्रता से परे 58,843 करोड़ का अतिरिक्त उधार लेने की मंजूरी दी गई है।