भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कोरोना वायरस की देसी वैक्सीन पर अहम बात कही है। संसद की एक समिति के समक्ष आइसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दो देसी कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट के दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल लगभग पूरा हो गया है। अगर सरकार फैसला करती है तो वैक्सीन को जल्द उतारने के लिए आपातकालीन मंजूरी पर विचार किया जा सकता है।
आइसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने गृह मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के सदस्यों को बताया कि भारत बायोटेक, कैडिला और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से विकसित वैक्सीन कैंडिडेट अभी ट्रायल के अलग-अलग चरणों में हैं। यह जानकारी बैठक में मौजूद एक सांसद ने दी।
भारत बायोटेक और कैडिला द्वारा बनाई जा रहीं वैक्सीन दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को पूरा करने के करीब हैं। सांसद ने बताया कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की मदद से सीरम इंस्टीट्यूट जिस वैक्सीन को बना रही है वह पिछले सप्ताहांत में ट्रायल के फेज-2 (बी) में प्रवेश कर चुकी है। इसके लिए देशभर के 17 केंद्रों पर 1700 मरीजों की पहचान की जा चुकी है।
स्थायी समिति की बैठक में हिस्सा लेने वाले सांसदों के अनुसार, जब यह पूछा गया कि लोगों को अभी इस महामारी के साथ कब तक रहना होगा, भार्गव ने कहा कि आमतौर पर आखिरी चरण के परीक्षण में छह से नौ महीने का वक्त लगता है। लेकिन अगर सरकार फैसला करती है तो आपातकालीन मंजूरी पर विचार किया जा सकता है। इसका आशय यह है कि अगर सरकार वैक्सीन के लिए तयशुदा सभी प्रोटोकॉल्स में ढील देते हुए उसे जल्दी से लांच करने का फैसला करती है तो आइसीएमआर इस पर विचार करेगी।
कोरोना वायरस संक्रमण का तत्काल पता लगाने के लिए अमेरिका में खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) द्वारा लार की जांच किए जाने के बारे में पूछे जाने पर भार्गव ने बताया कि गरारा किए हुए पानी से सैंपल लेने पर पहले से ही विचार किया जा रहा है। इस बारे में और विस्तृत जानकारी जल्द ही उपलब्ध हो जाएगी। यह जानकारी बैठक में शामिल हुए एक अन्य सांसद ने दी। संसदीय समिति के सभी सदस्यों ने कोरोना महामारी से लड़ने में आइसीएमआर और स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका की सराहना की।