विस्तारवादी चीन दिन व दिन अपनी ताकतों को और मजबूत करता जा रहा है. उसकी नीतियां साफ़ ज़ाहिर करती हैं कि दुनिया के हर कोने पर वह अपनी पहुँच बनाना चाहता है. चाहे वह दक्षिण चीन सागर पर कब्ज़ा हो या फिर उसका मेगा बजट प्रोजेक्ट ओबीओआर हो, हर तरह से वह दुनिया के हर देश से जुड़ना चाहता है. हाल ही में चीन एक और बड़ी सफलता हांसिल की है. चीन ने दुनिया का सबसे लंबा समुद्री पूल बना लिया है. 
यह पुल हांग कांग, मकाउ और चीन को जोड़ेगा. माना जा रहा है इस पुल में उतना स्टील खर्च हुआ है जितना स्टील 60 आइफिल टावर को बनाने में खर्च होता. 55 किमी लंबा यह पुल हांग कांग को चीन के दक्षिणी शहर झूहाई और मकाउ के गैमलिंग एनक्लेव से जोड़ेगा. नौ साल से बन से रहे इस पुल की पहली झलक से चीन सरकार ने अब पर्दा उठाया है. इसमें एक अंडरवाटर टनल भी तैयार की गई है जिसे इस निर्माण कार्य का सबसे जटिल हिस्सा बताया गया है.
अधिकारियों के मुताबिक,यह पुल अगले 120 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकेगा. कयास लगाए जा रहे हैं कि यह पुल कारोबार में इजाफा करेगा और इससे यात्रा में लगने वाला समय 60 फीसदी तक घटेगा. उम्मीद जताई जा रही थी यह परियोजना 2017 में ही पूरी हो जाएगी पर यह पूरा कम्पलीट इस साल जाकर हुआ.
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि इस पुल के निर्माण में 4.20 लाख टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है. इस पुल को बनाने पर चीन सरकार ने कितना खर्च किया है इसका सटीक आंकड़ा तो नहीं जारी किया गया है. लेकिन माना जा रहा है इसे बनाने मे तकरीब 15.1 अरब डॉलर खर्च हुए हैं. हांग कांग के विपक्षी खेमे का मानना है कि यह पुल कोई साधारण पुल नहीं है बल्कि चीन की हांग कांग पर मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश है.
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