पानीपत के बहुचर्चित समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में पंचकुला की स्पेशल एनआईए कोर्ट आज (11 मार्च) फैसला सुना सकती है. इस केस में बहस होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में 8 आरोपियों में से 1 की हत्या हो गई थी. 3 को पीओ घोषित कर दिया था. 11 मार्च को एनआईए कोर्ट समझौता ब्लास्ट मामले के चार आरोपीयोंं स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को लेकर बड़ा फैसला सुना सकती है.
एनआईए के वकील पीके हांडा ने ज़ी मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि समझौता एक्सप्रेस ब्लाल्ट मामले में एनआइए और बचाव पक्ष के बीच फाइनल बहस पूरी हो गई है. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. उन्होंने बताया 26 जुलाई 2010 को मामला NIA को सौंपा गया था. 26 जून 2011 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. वकील पीके हांडा ने बताया आरोपियों पर आईपीसी की धारा (120 B,read with 302) 120 बी साज़िश रचने के साथ 302 यानि की हत्या, 307 हत्या की कोशिश करना, और विस्फोटक पदार्थ, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई हैं. अगर इन धाराओं के तहत आरोपी दोषी करार दिए जाते हैं तो कम से कम उम्रकैद की सज़ा होगी.
एनआईए के वकील पीके हांडा ने बताया कि एनआईए ने मामले में कुल 224 गवाहों को एग्ज़ामिन किया है, जबकि बचाव पक्ष ने कोई गवाह नहीं पेश किया. केवल अपने दस्तावेज और कई जजमेंट्स की कॉपी ही कोर्ट में पेश की. इस मामले में कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी गवाहों को पेश होने के लिए कई बार मौका दिया गया. लेकिन वह एक बार भी कोर्ट में नहीं आए. वकील हांडा ने बताया कि मामले में अब तक सिर्फ आरोपी असीमानंद को ही ज़मानत मिली है, जबकि बाकि तीनों आरोपी जेल में हैं.
बता दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था. ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी. विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था. हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी. ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे. मारे जाने वाले 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे.
19 फरवरी 2007 को दर्ज एफआइआर के मुताबिक समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को रात 11.53 बजे दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास धमाका हुआ. इसकी वजह से ट्रेन के दो जनरल कोच में आग लग गई थी. यात्रियों को दो धमाकों की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बों में आग लग गई. बाद में पुलिस को घटनास्थल से दो ऐसे सूटकेस बम मिले, जो फट नहीं पाए थे.
20 फरवरी, 2007 को प्रत्यक्षदर्शियों के ब्यानों के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए. ऐसा कहा गया कि ये दोनों लोग ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए. इसके बाद धमाका हुआ. पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का नक़द इनाम देने की भी घोषणा की थी. हरियाणा सरकार ने इस केस के लिए एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया था.
15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया. यह इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी. पुलिस इन तक सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच पाई थी. ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खऱीदी गई थीं. बाद में इसी तर्ज पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए और इन सभी मामलों के तार आपस में जुड़े हुए बताए गए थे.
समझौता मामले की जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को एक अभिनव भारत के शामिल होने के संकेत मिले थे. इसमें स्वामी असीमानंद को मामले में आरोपी बनाया गया था. एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था. जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे.