सबसे बड़ी तीज हरितालिका तीज इस बार 21 को, होती है अखंड सौभाग्य की प्राप्ति

 देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में हरितालिका तीज पर्व को स्त्रियों के प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है। हरितालिका तीज का व्रत करवा चौथ व्रत से भी कठिन माना जाता है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है।

हरितालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष हरितालिका तीज 21 अगस्त को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार हरितालिका तीज को सबसे बड़ी तीज माना जाता है। इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरितालिका तीज का व्रत सुहागिनों के अलावा कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। हरितालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को स्त्रियों का सर्व प्रमुख पर्व हरितालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। वैधव्य दोष नाशक इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने श्री शिव जी के लिए रखा था। अहोरात्र अर्थात एक दिन और एक रात निर्जल रहा जाने वाला यह व्रत पति की आयु और आरोग्य का दायक बताया गया है। हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्वहरतालिका तीज व्रत भगवान शिव व माता पार्वती के पुनॢमलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकप उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए। एक दिन महॢष नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी।

एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि वो तो भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और वहां पर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हेंं दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हेंं पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस व्रत से वह सभी भगवान शिव व पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

हरितालिका तीज 2020 का पूजा मुहूर्त

21 अगस्त को सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक है। शाम को हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक। तृतीया तिथि प्रारंभ 21 अगस्त की रात 2 बजकर 13 मिनट से। तृतीया तिथि समाप्त 22 अगस्त रात 11 बजकर 2 मिनट तक।

हरतालिका तीज की संपूर्ण पूजा विधि

हरतालिका तीज पर बालू रेत से भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। प्रतिमा बनाने के बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती को एक चौकी पर स्थापित कर दें। इसके बाद उस चौकी पर एक चावलों से अष्टदल कमल बनाएं और उस पर कलश की स्थापना करें। कलश की स्थापना करने से पहले उसमें जल, अक्षत, सुपारी और सिक्के डालें और उस पर आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल भी रखें। इसके बाद चौकी पर पान के पत्ते रखकर उस पर अक्षत रखें। इसके बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती को स्नान कराएं। सभी भगवानों को स्नान कराने के बाद उनके आगे घी का दीपक और धूप जलाएं, इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं और भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं।

तिलक करने के बाद सभी भगवानों को फूल व माला चढ़ाएं, इसके बाद भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद भगवान गणेश को दूर्वा और भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग और शमी के पत्ते अर्पित करें। भगवान शिव को यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान गणेश और माता पार्वती को पीले चावल अर्पित करें और भगवान शिव को सफेद चावल अर्पित करें। इसके बाद सभी भगवानों को कलावा अर्पित करें और भगवान गणेश और भगवान शिव को जनेऊ अर्पित करें। जनेऊ अर्पित करने के बाद माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें, इसके बाद बाद सभी भगवानों को फल अर्पित करें। फल अर्पित करने के बाद हरतालिक तीज की कथा पढ़ें। इसके बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और उन्हेंं मिष्ठान अर्पित करें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें।

 

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