‘सबसे पहले मातृभाषा’: JNU कुलपति शांतिश्री पंडित का बड़ा बयान

मराठी भाषा विवाद पर जेएनयू की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है। कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा कि मैं सबसे पहले मातृभाषा को प्राथमिकता दूंगी।

मुंबई में मराठी बनाम हिंदी का मुद्दा देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बाद अब जेएनयू की कुलपति का बयान सामने आया है। बीते दिन मुंबई की एक लोकल ट्रेन में भाषा को लेकर विवाद हो गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोकल ट्रेन के महिला डिब्बे में सीट को लेकर मराठी बनाम हिंदी विवाद सामने आया। जहां एक महिला ने अन्य महिलाओं से बहस के दौरान कहा कि मुंबई में रहना है तो मराठी बोलो, नहीं तो बाहर निकल जाओ।

क्षेत्रीय भाषाएं सीखेंगे छात्र: सीएम रेखा
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग को निर्देश दिए हैं कि विभिन्न राज्यों की कला, संस्कृति व भाषा को दिल्ली की गलियों तक पहुंचाया जाए। छठ पूजा, दुर्गा पूजा, गणेशोत्सव, लोहड़ी आदि पर्वों को भव्य बनाने के लिए दूसरे राज्यों के कलाकारों को बुलाया जाए। सीएम ने कहा कि इससे लोगों का इन आयोजनों से जुड़ाव बढ़ेगा। इसके अलावा बच्चों को अन्य भाषाएं सिखाने और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू करने की योजना भी शुरू की जाएगी। सरकार दिल्ली को देश की सांस्कृतिक राजधानी बनाने जा रही है। जहां बच्चों के लिए गैर हिंदी भाषा की पढ़ाई शुरू होगी। स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम की भी योजना है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा कि मैं सबसे पहले मातृभाषा को प्राथमिकता दूंगी। क्योंकि मातृभाषा सबसे महत्वपूर्ण भाषा है। अन्य दो भाषाएं आपकी मार्किट की भाषाएं होनी चाहिए। आप जहां भी रहें, स्थानीय भाषा और अपने करियर की भाषा सीखें।

आगे कहा कि यह काम प्रत्येक नागरिक पर छोड़ देना चाहिए। भारत की सभी भाषाएं अच्छी हैं। बहुभाषिकता में संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। भाषा घृणा या श्रेष्ठता का साधन नहीं होनी चाहिए। बल्कि यह संचार का माध्यम होनी चाहिए। मैं सभी को भारत की प्रत्येक भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित करती हूं, जहां साहित्य और संपदा का इतना विशाल भंडार है। हालांकि भारतीय साहित्य विभिन्न भाषाओं में लिखा गया है, फिर भी हम एक ही हैं।

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