सबरीमाला मंदिर में टूटी सैकड़ों साल पुरानी परंपरा, 40 साल की दो महिलाओं ने किए दर्शन

केरल के सबरीमाला मंदिर में बुधवार को भारी विरोध के बीच 50 वर्ष से कम उम्र की दो महिलाओं ने प्रवेश कर इतिहास रच दिया. बताया जा रहा है कि बिंदु और कनकदुर्गा नाम की दो महिलाओं ने आधी रात को मंदिर की सीढ़ियां चढ़नी शुरू की और सुबह करीब 3.45 पर भगवान के दर्शन किए. दोनों महिलाओं के साथ साधारण कपड़ों में और यूनिफॉर्म में कुछ पुलिसकर्मी थे. मंदिर में प्रवेश करने वाली दोनों महिलाओं से फिलहाल संपर्क नहीं हो पाया है.

मंगलवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू दिया. इस दौरान जब उनसे सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सबरीमाला ही नहीं देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर परंपरा के मुताबिक पुरुषों की एंट्री प्रतिबंधित है. वहां इसका पालन किया जाता है. इस पर किसी को समस्या नहीं होती. अगर लोगों की आस्था है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश न हो तो उसका भी ख्याल रखा जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि महिला जज ने सबरीमाला मामले पर जो फैसला दिया है उसे भी देखा जाना चाहिए.

क्या आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले पर सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच बनाई गई थी. इसमें एक महिला जज इंदु मल्होत्रा थीं. इस मामले फैसला 4-1 से फैसला आया था जिसमें कहा गया था कि किसी भी उम्र की महिला को मंदिर में प्रवेश से रोका नहीं जा सकता. जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जज इंदु मल्होत्रा ने इसका विरोध किया था.

इससे पहले भी हुई थी कोशिश

23 दिसंबर को 11 महिलाओं के एक समूह ने भी मंदिर जाने की कोशिश की थी, लेकिन उनका विरोध हुआ. महिलाओं के इस समूह का नेतृत्व सेल्वी कर रही थीं, जिनका संबंध तमिलनाडु के मनिति महिला समूह से है. भक्तों द्वारा पहाड़ी पर चढ़ने से उन्हें रोकने और भगाने पर इन महिलाओं को पंबा से मदुरै के लिए वापस जाने को बाध्य होना पड़ा.

10 से 50 साल के बीच की उम्र वाली ये 11 महिलाएं भगवान अय्यपा के दर्शन के लिए पंबा शहर सुबह 5.30 बजे पहुंच गई थीं. ये महिलाएं रविवार सुबह 11 बजे पंबी में ही बैठी रहीं और पहाड़ी की चढ़ाई के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग करती रहीं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हर उम्र की महिलाओं को मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने का आदेश दिया है, बावजूद इसके भगवान अयप्पा के भक्त महिलाओं को एंट्री नहीं दे रहे हैं.

क्या है सबरीमाला मामला

बता दें कि केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में 10 साल लेकर 50 साल वर्ष तक की उम्र की महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित था. परंपरा के अनुसार माना जाता था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और जो महिलाएं रजस्वला होती हैं उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की पीठ बनाई थी. इसने 4-1 से फैसला दिया था कि सबरीमाला मंदिर में किसी भी आयु वर्ग की महिला को प्रवेश से रोका नहीं जा सकता. इस पांच सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर शामिल थे.

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