सत्र के आखिरी दिन भी नहीं हुआ कोई काम, संसद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुआ

नई दिल्ली। संसद के आखिरी दिन भी विपक्ष के हंगामे के कारण कोई काम-काज नहीं हो सका और लोकसभा-राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा हंगामे और शोर-शराबे की भेंट चढ़ गया। पूरे सत्र में संसद के दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हुआ। संसद को न चलने देने को लेकर विपक्ष और सरकार एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे। 

अब धारण किया ऋषि विश्वामित्र का रूप

आज (शुक्रवार) आंध्र प्रदेश के विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर टीडीपी सांसद नरमल्ली शिवप्रसाद ऋषि विश्वामित्र की वेशभूषा धारण कर संसद पहुंचे थे। इस पूरे संसद सत्र के दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध का उनका अलग तरीका देखने को मिला। इससे पहले वे नारद मुनि, राजा हरिश्चंद्र, परशुराम की वेशभूषा धारण किए देखे जा चुके हैं। वहीं महिला व स्कूली छात्र के गेटअप में भी वे संसद भवन जा चुके हैं।

YSR कांग्रेस के सांसदों का इस्तीफा

इस बीच आंध्र के विशेष राज्य के दर्जे की मांग का मामला तूल में रहा। पांच वाइएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को अपना इस्तीफा सौंपा है।

कावेरी प्रबंधन बोर्ड के खिलाफ कर्नाटक कांग्रेस सांसदों का प्रदर्शन

वहीं, कावेरी जल विवाद के मुद्दे पर भी सियासत गरमा है। कावेरी प्रबंधन बोर्ड के संविधान के खिलाफ कर्नाटक के कांग्रेस सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया। वे हाथों में तख्तियां लेकर संसद परिसर पहुंचे। इससे पहले गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एआइएडीएमके के सांसदों ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग करते हुए सदन में जमकर नारेबाजी की। एआइएडीएमके सांसद जोरदार तरीके से ‘वी वांट जस्टिस’ और ‘वी डिमांड कावेरी बोर्ड’ के नारे लगा रहे थे। 

कृषि ऋण माफी की मांग को पंजाब कांग्रेस सांसदों का प्रदर्शन

उधर कृषि ऋण माफी की मांग को लेकर संसद भवन में पंजाब कांग्रेस सांसदों के भी जमकर विरोध प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां लेकर सांसद ने नारेबाजी की। उनकी तख्तियों में लिखा- कृषि कर्ज माफ कर के पंजाब ने निभाई अपनी जिम्मेदारी, जागो मोदी-अब आई केंद्र सरकार की बारी।

विपक्ष-सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर

विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो सका और सदन का आखिरी दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। दोनों सदनों में भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी नोंकझोंक और आरोप- प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। संसद न चल पाने का ठीकरा दोनों प्रमुख दल एक दूसरे के सिर फोड़ते रहे। सदन के बाहर हाल और भी बुरा था। एआइडीएमके, टीआरएस और टीडीपी सदस्य रोजाना की तरह वेल में पहुंचकर नारेबाजी करते रहे। राज्यसभा के उपसभापति एम. वेंकैया नायडू ने हंगामा कर कार्यवाही रोकने वाले सदस्यों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए निलंबन तक की चेतावनी दे दी। लेकिन इसका भी असर विपक्षी दलों पर नहीं पड़ा।

5 मार्च को शुरू हुआ था सत्र

संसद का यह सत्र पांच मार्च को शुरू हुआ था। लेकिन तक से लेकर सत्र के आखिरी दिन तक विपक्ष के हंगामे के कारण कोई काम नहीं हुआ। बैगर किसी कामकाज के हर रोज लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कुछ मिनटों के लिए चलती रही और फिर हंगामे के चलने कार्यवाही को स्थगित करना पड़ जाता रहा। इसी के चलते कोई विधेयक पारित नहीं हो सका और न ही कई महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा हो सकी। 

कांग्रेस ने सदन न चलने का ठीकरा सरकार पर फोड़ा 

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के बयान से भड़के कांग्रेस के सदस्यों ने जबर्दस्त विरोध किया। कुमार ने कहा कि सदन के न चलने की वजह से राजग के सांसदों ने इस दौरान का अपना वेतन और भत्ता नहीं लेने का फैसला किया है। इसी तरह सभी सांसदों को यही करना चाहिए। कांग्रेस के लोगों ने सदन न चलने देने का ठीकरा सरकार पर फोड़ा और कहा कि इसके लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। सोनिया गांधी ने कांग्रेस के कुछ सदस्यों के नाम लेने पर सख्त आपत्ति जताई, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उन नामों को रिकॉर्ड से बाहर निकाल देने को कहा।

 

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