सचिन तेंदुलकर कमोबेश हर अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाजी रिकॉर्ड में सबसे ऊपर हैं, लेकिन जब बात टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने की आती है, तो सचिन टॉप 10 में भी नहीं आते। मार्वन अटापट्टू, वीरेंद्र सहवाग, जावेद मियांदाद, यूनिस खान और रिकी पोंटिंग की तरह, सचिन भी टेस्ट क्रिकेट में छह दोहरे शतक लगा पाए हैं, लेकिन वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा दोहरे शतक लगाने की सूची में 12वें स्थान पर हैं। इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन सबसे ऊपर हैं, जिन्होंने 12 दोहरे शतक क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में जड़े हैं।
सचिन तेंदुलकर से टेस्ट क्रिकेट में ज्यादा दोहरे शतकों की उम्मीद इसलिए भी की जाती है, क्योंकि उन्होंने 200 टेस्ट मैच खेले हैं। इसी के बारे में भारतीय टीम को 1983 के विश्व कप विजेता बनाने वाले कप्तान और महान ऑलराउंडर कपिल देव ने अपनी राय दी है। कपिल देव ने कहा कि सचिन तेंदुलकर शतक बनाना जानते थे, लेकिन वह उन्हें दोहरे शतक और तिहरे शतक में बदलने की कला में बहुत माहिर नहीं थे। कपिल देव का मानना है कि सचिन तेंदुलकर कम से कम टेस्ट क्रिकेट में 10 और दोहरे शतक और कम से कम 3 तिहरे शतक जड़ सकते थे, क्योंकि उनमें वो क्षमता थी।
कपिल देव ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और महिला क्रिकेट टीम के वर्तमान कोच डब्ल्यूवी रमन के साथ लाइव चैट करते हुए कहा, “सचिन में इतनी प्रतिभा थी कि मैंने कभी किसी में ऐसी प्रतिभा नहीं देखी थी। उन्हें पता था कि कैसे शतक बनाया जाएगा, लेकिन वह कभी भी एक क्रूर बल्लेबाज नहीं बन पाए। सचिन के पास क्रिकेट में सब कुछ था। उन्हें पता था कि कैसे शतक बनाया जा सकता है, लेकिन उन सैकड़ों को 200 और 300 में कैसे बदलना है, यह वे नहीं जानते थे। सचिन को तीन तिहरे शतक और 10 और दोहरे शतक बनाने चाहिए थे, क्योंकि वह तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को हर ओवर में कम से कम एक चौका या छक्का तो मार सकते थे।”
हैरान करने वाली बात ये है कि सचिन तेंदुलकर के नाम टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक लगाने का विश्व रिकॉर्ड है, लेकिन उन्हें अपना पहला दोहरा शतक ठोकने में पूरे 10 साल लगे। 1989 में टेस्ट डेब्यू करने वाले सचिन ने पहला दोहरा शतक 1999 में हैदराबाद में न्यूजीलैंड के खिलाफ जड़ा था। वास्तव में सचिन तेंदुलकर के 51 टेस्ट शतकों में से केवल 20 ही बार ऐसा हुआ है, जब वे 150 रन के ऊपर गए हैं। सचिन के कम संख्या में दोहरे शतक के पीछे के कारणों को बताते हुए कपिल देव ने कहा है कि उनका ये नहीं कर पाने का कारण मुंबई की जड़ों से जुड़ा है। सचिन कपिल के साथ खेले भी हैं और कपिल ने सचिन को कोचिंग भी दी है।
कपिल ने कहा, “जब वह मुंबई से था, तब उनकी मानसिकता थी कि जब आप शतक बनाते हैं तो एक लाइन बनाते हैं और फिर से शून्य से शुरू करते हैं। और यह वह जगह है जहां मैंने कहा कि नहीं आप इतने निर्दयी क्रिकेटर हैं, तो गेंदबाजों को आपसे डरना चाहिए। सचिन की प्रतिभा सबसे अलग थी थी।” कपिल ने बताया कि एक शतक लगाने बाद वह सिंगल लेते थे और निर्मम हो जाते थे। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए था, बल्कि वीरेंद्र सहवाग की तरह शतक के बाद ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करनी चाहिए थी, जिससे कि वे बड़ा स्कोर खड़ा कर सकें।
रिकॉर्ड की बात करें तो मौजूदा समय में भारत के लिए विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा दोहरे शतक लगाए हैं। अपने 27 टेस्ट शतकों में से 7 बार विराट कोहली 200 के पार अपने स्कोर को ले गए हैं। वहीं, भारत के लिए सबसे ज्यादा तिहरे शतक ठोकने का रिकॉर्ड वीरेंद्र सहवाग के नाम है। सहवाग ने 2, जबकि करुण नायर ने एक तिहरा शतक टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए ठोका है। सचिन तेंदुलकर की बात करें तो उनका टेस्ट का सर्वाधिक स्कोर 248 रन है। सचिन ने 200 टेस्ट मैचों में 54.04 की औसत से 15921 रन बनाए हैं, जिसमें 51 शतक और 68 अर्धशतक शामिल हैं।