आम आदमी पार्टी ने अपने विधायकों के निष्कासन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति के फैसले पर स्टे से इनकार किया है. हालांकि, सोमवार तक के लिए चुनाव आयोग को उपचुनाव का ऐलान करने से मना किया है.
विधायकों ने जताई थी उपचुनाव की आशंका
बुधवार को सुनवाई के दौरान विधायकों की तरफ से कहा गया कि उनके साथ जो कुछ हुआ है वह अन्याय है. सुनवाई के दौरान विधायकों ने सोमवार तक चुनाव की घोषणा होने की आशंका जताई. जिसपर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मसले पर सोमवार तक उपचुनाव की घोषणा ना करने के लिए कहा है. हाइकोर्ट ने अभी राष्ट्रपति के आदेश पर कोई स्टे नहीं लगाया है.
विधायकों ने दलील दी कि चुनाव आयोग ने उनकी बात नहीं सुनी और नए चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया है.
विधायकों ने दावा किया कि हमारे खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता ही नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मसले पर कहा है कि वह इस मामले पर विस्तृत सुनवाई सोमवार को करेंगे. तब तक चुनाव आयोग उपचुनाव की घोषणा ना करें. राष्ट्रपति के आदेश के बाद सदस्यता गंवाने वाले 20 विधायकों में से कुल 8 पूर्व विधायकों की ये याचिका लगाई है.
बता दें कि इन अयोग्य विधायकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के उस नोटिफिकेशन को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है, जिसकें बाद दिल्ली सरकार के ये विधायक पूर्व विधायक बन गए हैं.
पहले भी लगाई थी याचिका
इससे पहले इन अयोग्य विधायकों ने सोमवार को, हाईकोर्ट में बीते शुक्रवार को लगाई अपनी याचिका को वापस ले लिया था. क्योंकि चुनाव आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि आप विधायकों के कोर्ट का रुख करने से पहले ही राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिशों पर अपनी मुहर लगा चुके थे. लिहाजा ये याचिका निष्क्रिय हो गई है. जिसके बाद आप के अयोग्य विधायकों ने ये याचिका वापस ले ली थी.
रविवार को राष्ट्रपति ने ठहराया था अयोग्य
गौरतलब है कि बीते रविवार दोपहर को चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद रखने के मामले में अयोग्य ठहरा दिया था. चुनाव आयोग पहले ही इन विधायकों को अयोग्य ठहरा चुका था. इसके बाद ‘आप’ ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था. जहां हाई कोर्ट ने आप के विधायकों को निर्वाचन आयोग की सिफारिश के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था.