भारत ने कहा है कि पर्यावरण को लेकर निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 2050 का समय निर्धारित नहीं होना चाहिए। लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अभी से गंभीर प्रयास शुरू होने चाहिए और उन्हें जल्द प्राप्त किया जाना चाहिए। भारत की ओर से यह बात पर्यावरण, वन और मौसम से संबंधित मामलों के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पर्यावरण पर आयोजित चर्चा में कही।
जावड़ेकर ने कहा, विकसित देशों की जिम्मेदारी है कि वे हर साल पर्यावरण सुधार के लिए वादे के अनुसार 100 अरब डॉलर (करीब 7.25 लाख करोड़ रुपये) की धनराशि दें। यह धनराशि पर्यावरण में सुधार के लिए विकासशील देशों में वितरित होने का प्रविधान है जिनमें भारत भी शामिल है।
जावड़ेकर ने कहा कि पर्यावरण में सुधार के लिए प्रयास करने की घोषणाएं 2020 में की गई थीं। उनको पूरा करने के लिए 2050 का लक्ष्य निर्धारित करना उचित नहीं है। पर्यावरण में सुधार संबंधी उपायों के लिए आर्थिक, तकनीक और क्षमता बढ़ाने वाला समर्थन दिए जाने की जरूरत है। तभी कार्बन उत्सर्जन और अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकेगा।
पेरिस में हुए समझौते के मुताबिक 2050 तक दुनिया में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा शून्य की जानी है। इसे 2030 तक आधी मात्रा में लाया जाना प्रस्तावित है। संयुक्त राष्ट्र का मौसम में बदलाव संबंधी 26 वां सम्मेलन नवंबर में ग्लास्गो में प्रस्तावित है। उसमें लक्ष्यों की प्राप्ति के कार्यक्रम में तेजी लाए जाने पर जोर दिया जाना है।