चालीस लाख ट्रैक्टर लेकर संसद मार्च के राकेश टिकैत के ऐलान के 24 घंटे के अंदर ही संयुक्त मोर्चा ने इससे पल्ला झाड़ लिया है। किसान नेताओं का कहना है कि मोर्चे का इस तरह का कोई इरादा नहीं है और यह टिकैत का निजी मत हो सकता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा बैठक कर रणनीति तय करता है, वही सभी संगठनों को मान्य होगी। उन्होंने अपील की है कि किसान फसल बर्बाद न करें, यह बच्चों के समान होती है।
संयुक्त मोर्चा के 28 फरवरी तक के कार्यक्रम तय हैं और 28 फरवरी को होने वाली बैठक में अगली रणनीति बनाई जानी है। उन्होंने किसान नेताओं को नसीहत भी दी कि वह इस प्रकार के बयान न दें, जिससे किसानों या आंदोलन का नुकसान होता है।
कुंडली बॉर्डर पर धरने पर मौजूद अखिल भारतीय स्वामीनाथन कमेटी संघर्ष समिति के प्रमुख विकल्प आचार्य ने बृहस्पतिवार को कहा कि फसलों में आग लगाना, उन्हें तबाह करना या आत्महत्या करना आंदोलन का कोई तरीका नहीं है। फसलें हमारे बच्चों की तरह है। कोई भी व्यक्ति किसी आवेश में आकर ऐसी काम न करें। फसलें तबाह करना किसी का निजी बयान हो सकता है और यह संयुक्त मोर्चा का फैसला नहीं है। किसी के बहकावे में आकर किसान ऐसा न करें, क्योंकि यदि किसान कमजोर होगा तो सीधे तौर पर यह आंदोलन कमजोर होगा।
वहीं, संयुक्त मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य एवं भारतीय किसान यूनियन के पंजाब अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाला ने साफ किया कि संयुक्त किसान मोर्चा 15 दिनों का कार्यक्रम एडवांस बनाकर देता है। फिलहाल, संयुक्त मोर्चा के कार्यक्रम में दिल्ली कूच करने का कोई कार्यक्रम शामिल नहीं है, न ही ऐसी कोई तैयारी की जा रही है। डल्लेवाला ने यह भी स्पष्ट किया कि फसल बर्बाद करने का कोई कार्यक्रम मोर्चा की ओर नहीं सुझाया गया है, यह किसी नेता का अपना बयान हो सकता है। वहीं, गुरनाम सिंह चढूनी ने भी मोर्चा के सदस्यों के सुर में सुर मिलाया है। चढूनी ने कहा कि किसान अपनी फसलों को पूत की तरह पालते हैं, ऐसे में उन्हें बर्बाद किया जाना सरासर गलत है। दिल्ली कूच का कोई इरादा नहीं है।