Hidden Hunger संतुलित आहार न मिलने के कारण विश्व में तीन में से एक बच्चा हिडन हंगर का शिकार है। दुनिया में एक तरफ जहां कुपोषण से बच्चों की मौत हो रही है, वहीं दूसरी ओर अच्छे घरों के बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण भोजन न करने के कारण कुछ अलग तरह की बीमारियों से मौत का शिकार हो रहे हैं। यह बात इजिप्ट से आए शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. वेल बहबह ने कही। शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस पेडिकॉन 2020 में ‘क्वालिटी चाइल्ड केयर’ पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि दुनिया के दो अरब बच्चों में आयरन और जिंक की कमी होती है। दुनियाभर में पांच साल की उम्र के 70 लाख बच्चे दोनों तरह के कुपोषण का शिकार हैं। दुनियाभर के 10 प्रतिशत बच्चों में जरूरी विटामिनों की कमी देखी गई है।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को नहीं मिल पाता ब्लड
कॉन्फ्रेंस के चीफ ऑर्गेनाइजिंग सेके्रटरी डॉ. वीपी गोस्वामी ने बताया कि पूरी दुनिया में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को करीब 92 लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता है, जबकि इन्हें सिर्फ 90 लाख यूनिट ब्लड ही मिल पा रहा है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट बहुत ही अच्छा विकल्प आया है। पहले घरवाले ही मरीज को रक्तदान कर सकते थे, अब एचएलए मैचिंग के साथ किसी भी व्यक्ति का रक्त इन बच्चों को चढ़ाया जा सकता है।
प्रदूषण से बच्चों को अस्थमा का खतरा
बेंगलुरु से आए डॉ. सुब्रमण्यम एन ने बताया कि एलर्जी और अस्थमा अलग-अलग चीजे हैं। एलर्जी में त्वचा से जुड़ी समस्याएं जैसे दाने उठना आदि प्रमुखता से शामिल हैं, वहीं अस्थमा होने पर हवा में मौजूद कणों के कारण सांस लेने में समस्या होती है।
बच्चों के पांच साल का डाटा रखेंगे
शनिवार को इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियंस की कोर कमेटी की बैठक हुई। लगभग छह घंटे चली बैठक में 20 से अधिक पदाधिकारियों ने भाग लिया। इसमें निर्णय लिया गया कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की बीमारियां और उनसे जुड़े सभी मुद्दों का डाटा रखा जाएगा। इससे क्वालिटी केयर की जानकारी मिल सकेगी। एडवाइजरी बोर्ड कमेटी के डॉ. एएस वासुदेव ने बताया कि बच्चे के जन्म के एक मिनट के बाद नाल काटना चाहिए। जिससे अतिरिक्त ब्लड मिल सके। छोटी-छोटी चीजों पर आशा कार्यकर्ताओं को जागरूक किया जाएगा।