बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने अभिनेता संजय दत्त को जल्दी रिहा करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार और जेल विभाग को फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा है कि संजय दत्त के अच्छे व्यवहार का आकलन किस तरह किया गया। इसके अलावा अदालत जानना चाहती है कि परोल पर बाहर होने पर उन्हें रिहा कैसे किया गया, वह भी उनकी सजा के आधा पूरा होने पर। संजय इसी साल फरवरी में रिहा किए गए थे।

उनकी रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसपर सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार को फटकारा। संजय दत्त को 12 मार्च 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में अवैध हथियार रखने के लिए पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। संजय दत्त को 1993 में गिरफ्तार किया गया था। वह विचाराधीन कैदी के रूप में पहले ही 18 महीने की सजा काट चुके थे। मई 2013 में अपनी बाकी बची 42 महीने की सजा काटने के लिए उन्हें जेल भेजा गया। सजा के दौरान संजय दत्त कई बार पैरोल पर बाहर भी आए। कोर्ट ने इस पर भी सरकार व जेल प्रशासन को फटकार लगाई है।
रिहा होने के बाद संजय ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, ”मुझे आर्म्स एक्ट में सजा हुई है, बम ब्लास्ट केस में नहीं। इसलिए मेरा उससे नाम न जोड़ें। मेरा नाम संजय दत्त है, मैं आतंकवादी नहीं हूं। मुझे सबसे ज्यादा राहत उस वक्त मिली, जब कोर्ट ने कहा कि तुम आतंकी नहीं है। मेरे पिता सारी जिंदगी यह बात सुनना चाहते थे।”
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