कुमार संगकारा का कॉलम
2019 विश्व कप ने टूर्नामेंट से पहले कोई बड़ा प्रचार नहीं किया था। छक्कों की बरसात की उम्मीदें भी बेकार गई और खराब मौसम की वजह से भी टूर्नामेंट का स्तर घटा, लेकिन पिछले सभी विश्व कप में इस विश्व कप के फाइनल जैसा रोमांच नहीं दिखा। यह एक अलग तरह का फाइनल था, जो भी लॉर्ड्स में उपस्थित थे वह अहसनीय, नाखून कतरने जैसे तनाव में रहे। पवेलियन में एमसीसी की बेंच उन लोगों से भरी रही जिन्होंने 1975, 1979, 1983 और 1999 के विश्व कप मुकाबले देखे। जो भी इस मैच के साक्षी बने वह कभी भी ऐसा मैच दोबारा नहीं देख पाएंगे।
इंग्लैंड की टीम इस विश्व कप में जीत की हकदार थी। वह ऐसे हालात में खेल रहे थे जहां गेंदबाज को अपने कौशल और प्रोत्साहन से सफलता पानी होती है। न्यूजीलैंड की टीम लगातार दूसरी बार उप विजेता बनी। उन्होंने बड़ी ही बहादुरी से फाइनल खेला और इतने कम अंतर से हारने के बाद सभी खिलाड़ी बिखर गए होंगे। मैं जानता हूं कि लगातार दो बार फाइनल हारने पर कैसा लगता है। हमारे साथ 2007 और 2011 में विश्व कप, साथ ही 2009 और 2012 टी-20 विश्व कप में ऐसा हुआ था। एक खिलाड़ी के तौर पर यह बहुत ही मुश्किल होता है। न्यूजीलैंड के खिलाड़ी खुद को दोषी नहीं मानते होंगे। 2015 को अगर छोड़ दिया जाए तो इस बार उन्होंने वो सब किया जो वह कर सकते थे।
इंग्लैंड की टीम इस जीत की हकदार थी। वह शुरू से ही इस टूर्नामेंट को जीतने के दावेदार थे और उन्होंने टूर्नामेंट के मध्य में बाहर होने की स्थिति में खुद को दबाव के अंदर बखूबी संभाला। इंग्लैंड साफ नजरिए वाली एक बहुत ही शानदार टीम है जो जानती है कि उन्हें कैसे खेलना है। 2015 विश्व कप में बिखरने वाली इंग्लैंड की टीम की पिछले चार वर्ष का सफर किसी भी क्रिकेट खेलने वाले महत्वकांक्षी देश के लिए उदाहरण की तरह है जो भविष्य के लिए तैयारी करना चाहता है।
ब्रांड क्रिकेट खेलना उनके लिए 2019 विश्व कप में बहुत जरूरी था और उन्होंने इसके लिए अपने नेतृत्वकर्ता और खिलाड़ी को बखूबी परखा। श्रीलंका को भी 2023 में भारत में होने वाले विश्व कप के लिए ऐसे ही सफर की जरूरत है। इस विश्व कप से ज्यादा परिस्थितियां तब हमारे ज्यादा अनुकूल होंगी और हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है। हमें बस ध्यान से तैयारी करने की और पहले से ही टीम तैयार करने की जरूरत है। हमारी टीम को इंग्लैंड को देखकर तैयारी करनी चाहिए।
इंग्लैंड की जीत साथ ही इयोन मोर्गन के नेतृत्व की जीत है। उन्होंने इस टूर्नामेंट और पिछले चार वर्ष में टीम का शानदार ढंग से नेतृत्व किया। उन्होंने खिलाडि़यों को आत्मविश्वास दिया, उन पर उनके अनुशासन से खेलने के लिए विश्वास जगाया। ऐसे में टीम की ओर से उन्हें सम्मान मिलना सामान्य था। केन विलियमसन भी एक असाधारण नेतृत्वकर्ता हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड के मुख्य रन स्कोरर होने के बावजूद दबाव को अच्छे से झेला और टीम का अच्छे से नेतृत्व किया। वह बिलकुल मैन ऑफ टूर्नामेंट के खिताब के हकदार थे।