‘श्री राम मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि सहस्त्रों वर्षों तक राम जी का नाम अमर रहे: चंपत राय

अयोध्या में राम जन्मभूमि निर्माण शुरू हो गया है. सबके मन में सवाल है कि आखिर कितने समय में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा? इसका जवाब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अपने ट्वीट में दिया. ट्रस्ट का कहना है कि मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने गुरुवार को कहा, ‘श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है. CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है. मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है.’

ट्रस्ट ने बताया, ‘श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो. मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा.’

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बुधवार को विश्व हिंदू परिषद मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि मंदिर निर्माण में पत्थरों का उपयोग होगा. पत्थरों की आयु के हिसाब से ही मंदिर की एक हजार वर्ष आयु का आकलन किया गया है. निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने योग्यतम लोगों को अपने साथ जोड़ा है.

चंपत राय ने कहा कि मिट्टी की ताकत नापने के लिए कंपनी ने आईआईटी चेन्नई की सलाह ली है. 60 मीटर गहराई तक की मिट्टी की जांच हुई. भूकंप आएगा तो यहां की जमीन की मिट्टी उन तरंगों को कितना झेल पाएगी, इन सब की जांच हुई है.

उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा. राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा. मंदिर निर्माण में 10,000 तांबे की पत्तियां व रॉड भी चाहिए. इसके लिए दानियों को आगे आने की जरूरत है.’

चंपत राय ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर साल दो करोड़ लोग अयोध्या दर्शन के लिए आते हैं. राम मंदिर बन जाने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा. इसलिए सरकार बस, रेल, हवाई जहाज आदि सुविधाओं के बारे में सोच रही है. हेलीकॉप्टर उतारने के लिए हवाई पट्टी भी बनेगी.

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