प्रथम पूजनीय श्रीगणेश की आराधना करने से सभी कष्टों का नाश होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। गजानन की आराधना बुधवार और चतुर्थी तिथि को करने का विशेष महत्व है।
इन दिनों में श्रीगणेश आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। ऐसी ही एक चतुर्थी तिथि माध मास के कृष्ण पक्ष के आती है।
माघ मास के कृष्ण पक्ष को आनो वाली चतुर्थी तिथि को विभिन्न नामों से जाना जाता है। इस मास की चतुर्थी को माघी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, संकटा चौथ, Sakat Chauth और Til Chauth के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में इस पर्व को विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश को तिल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
चतुर्थी की कथा का शास्त्रों में वर्णन किया गया है। पुराणों में दी गई कथा के अनुसार एक बार देवताओं पर विपत्ति आ गई। सभी देवता भगवान शिव से मदद मांगने के लिए गए। महादेव के साथ कार्तिकेय और गणेश जी भी विराजित थे। देवताओं की समस्या को सुनकर भोलेनाथ से अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय से पूछा कि तुम दोनों मे से कौन देवताओं के कष्टों का हरण करेगा।
उस समय दोनों ने स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। तब भगवान भोलेनाथ ने अपने दोनों पुत्रों की परीक्षा लेने के लिए कहा कि तुम दोनों में से जो कोई भी पहले धरती की परिक्रमा कर लेगा, वही देवताओं की मदद के लिए जाएगा।
महादेव के वचन सुनकर कार्तिकेय तुरंत अपने वाहन मयूर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। लेकिन भगवान गणेश चिंतामग्न थे कि अपने वाहन चूहे से धरती की परिक्रमा कैसे करें। इस तरह तो उनको बहुत समय लग जाएगा।
तभी श्रीगणेश के मन में एक विचार आया और वह अपने माता-पिता महादेव और पार्वती की सात परिक्रमा कर उनके चरणों में बैठ गए। कार्तिकेय जल्द पृथ्वी की परिक्रमा करके लौट आए और स्वयं को विजेता बताने लगे।
उस समय भोलेनाथ ने श्रीगणेश से परिक्रमा पर न जाने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक बसे हुए हैं। महादेव श्रीगणेश के उत्तर से बेहद प्रसन्न हुए और उनको देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दे दी और कहा कि जो भक्त चतुर्थी तिथि के दिन तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में अर्घ्य देगा उसको तीनों तरह के संतापों से मुक्ति मिल जाएगी।
इस दिन श्रीगणेश की आराधना करने से कष्टों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तिल चतुर्थी के दिन गरीबों को तिल गुड़ के लड्डू , कम्बल या कपडे आदि का दान करना चाहिए।