वैसे तो पितृपक्ष काल को शुभ नहीं मानते है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान हर शुभ कार्य वर्जित है, जैसे कि शादी, घर की खरीदारी या शिफ्टिंग, शादी की खरीदारी आदि। ठीक उसी प्रकार, जैसे कि घर में किसी परिजन की मत्यु के बाद घर में एक खास अवधि के लिए सभी मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दौरान हमारे पितृ हमसे आत्मिक रूप से जुड़े होते हैं, पूजन नियम के जरिए हमें उनसे आशीर्वाद लेनी चाहिए। कहा जाता है कि पितृपक्ष में पितृगण पितृलोक से धरती पर आ जाते हैं। इन 14 दिनों की समयावधि में पितृलोक पर जल का अभाव हो जाता है।
इसलिए पितृपक्ष में पितृगण पितृलोक से भूलोक आकार अपने वंशजो से तर्पण करवाकर तृप्त होते हैं। इसलिए जब व्यक्ति पर कर्जा हो तो वो खुशी मनाकर शुभकार्य कैसे सम्पादित कर सकता है। पितृऋण के कारण ही पितृपक्ष में शुभकार्य नहीं किए जाते है।
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