इसकी प्रकृति मृदु है। यह दिन एक और जहां लक्ष्मी का दिन है वहीं दूसरी ओर काली का भी। यह दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य का दिन है। शीघ्रपतन, प्रमेह रोग के रोगियों को शुक्रवार के दिन उपवास रखना चाहिए, क्योंकि यह दिन ओज, तेजस्विता, शौर्य, सौन्दर्यवर्धक और शुक्रवर्धक होता है।

ये कार्य करें :
* लाल चंदन लगाएं।
* पूर्व, उत्तर और ईशान में यात्रा कर सकते हैं।
* नृत्य, कला, गायन, संगीत आदि रचनात्मक कार्य की शुरुआत की जा सकती है।
* आभूषण, श्रृंगार, सुगंधित पदार्थ, वस्त्र, वाहन, चांदी आदि के क्रय-विक्रय के लिए उचित दिन।
* सुखोपभोग के लिए भी यह दिन शुभ होता है।
ये कार्य न करें :
* इस दिन खट्टा न खाएं तो आपके साथ अच्छा ही होगा।
* किसी भी प्रकार से शरीर पर गंदगी न रखें अन्यथा आकस्मिक घटना-दुर्घटना हो सकती है।
* पिशाची या निशाचरों के कर्म से दूर रहें।
* नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण में यात्रा न करें।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal