मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. शिवराज ने खुद के कोरोना पॉजिटिव निकलने की खबर ट्वीट करके दी. इस ट्वीट के कुछ ही देर के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का बयान आता है. दोनों नेताओं ने शिवराज से हमदर्दी तो दिखाई, लेकिन उनके ट्वीट का जो ‘टेस्ट’ था, वो कई सवाल खड़े करता है.
आज के दौर में जब सियासी शिष्टाचार के गर्त में समाने की प्रतिस्पर्धा दिख रही हो, तो ऐसे बयान कहीं से भी अचरज नहीं पैदा करते. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अपने ही उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को सरेआम नकारा-निकम्मा कह देना राजनीति के गिरते स्तर की एक बानगी भर है.
सोशल मीडिया के इस दौर में जैसे मर्यादाओं का मान-मर्दन हो रहा है, वो अब ‘न्यू नॉर्मल’ की तरह ही सामान्य सा लगता है. लेकिन इस देश की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण हैं जब वैचारिक और व्यक्तिगत रिश्तों को अलग रखा जाता था. नेता व्यक्तिगत कटाक्ष करने से बचते थे. रैलियों में, संसद में एकदूसरे से लड़ते थे लेकिन कुछ ऐसा नहीं कहते थे जिससे कभी आमना-सामना होने पर नजरें चुरानी पड़ें.
शिवराज के कोरोना पॉजिटिव निकलने पर दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, दुख है शिवराज जी आप कोरोना संक्रामक पाए गए. ईश्वर आपको शीघ्र स्वस्थ करें. आपको सोशल डिस्टेंसिंग का ख़्याल रखना था जो आपने नहीं रखा. मुझ पर तो भोपाल पुलिस ने FIR दर्ज कर ली थी आप पर कैसे करते. आगे अपना ख़्याल रखें.
वहीं कमलनाथ ने ट्वीट में लिखा, शिवराज जी, आपके कोरोना संक्रमित होने की जानकारी मिलने पर काफ़ी दुःख हुआ. ईश्वर से आपके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं.
बस अफ़सोस इस बात का है कि जब हम कोरोना को लेकर गंभीर थे, तब आप कोरोना को कभी नाटक बताते थे, कभी डरोना बताते थे, कभी सत्ता बचाने का हथियार बताते थे, कभी हम पर कुछ आरोप लगाते थे, कभी कुछ कहते थे, कभी कुछ. कमलनाथ ने प्रोटोकॉल की याद दिलाते हुए कहा कि शायद आप भी इससे संभल कर रहते, प्रोटोकॉल, गाइडलाइन व सावधानी का पूरा पालन करते, इसको मज़ाक़ में नहीं लेते तो शायद आप इससे आज बचे रहते.
ख़ैर कोई बात नहीं, आप जल्द स्वस्थ होकर वापस काम पर लौटेंगे, ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है व पूर्ण विश्वास है. दोनों नेताओं के ट्वीट के ‘टेस्ट’ पर सवाल उठना लाजिमी है.
मध्य प्रदेश में मार्च में सत्ता फिसलने के बाद से अब तक कुल 24 विधायक कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ चुके हैं. मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने ये कहकर कांग्रेस खेमे की बेचैनी और बढ़ा दी है कि 2-3 विधायक पाला बदलने को तैयार बैठे हैं.
दो विधायकों का निधन भी हो चुका है. उपचुनाव सिर पर है. ऐसे में राज्य के पुराने कांग्रेसी धुरंधर दिग्विजय और कमलनाथ मुख्यमंत्री शिवराज को किसी भी मोर्चे पर जरा भी ढील देने के मूड में नहीं दिख रहे.
किसी नेता के बीमार पड़ने पर वैचारिक दुश्मनी भुलाकर खैर-खबर लिए जाने का सामान्य शिष्टाचार चला आ रहा है. पहले के दौर में ऐसी कई नजीरें भी हैं. ऐसी ही एक नजीर आज राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों के लिए बेहद मौजूं है.