शिवत्व को जागृत करने का क्या है सही समय

अंग्रेजी कैलेंडर का जुलाई मास बीत जाने के बाद हिंदी कैलेंडर या विक्रम संवत के अंतर्गत श्रावण मास की शुरूआत होगी। श्रावण मास भगवान शिव को अति प्रिय है। वह श्रावण मास जिसमें भगवान शिव की आराधना बहुत पुण्यदायी होती है। माना जाता है इस मास में भगवान का स्मरण करने मात्र से ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मास में शिव के धामों में उमड़ते हैं। श्रद्धालुओं का सबसे ज़्यादा सैलाब उमड़ता है ज्योर्तिलिंगों की ओर। जी हां, बारह ज्योर्तिलिंग या किसी भी ज्योर्तिलिंग के इस मास में दर्शन करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। इस बार यह मास 1 अगस्त से लगेगा और 29 अगस्त को सावन मास का आखिरी सोमवार मनाया जाएगा। इस पूरे मास में श्रद्धालु शिव को प्रसन्न करने के जतन करेंगे

इस मास में मध्यप्रदेश में प्रतिष्ठापित ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर और उज्जैन में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। जहां ओंकारेश्वर में श्रद्धालु मां नर्मदा के तट पर प्रतिष्ठापित मंदिर में शिव अर्चना करेंगे वहीं बारह ज्योर्तिलिंग में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालु उमड़ेंगे। इन ज्योर्तिलिंगों में केवल श्रीमहाकालेश्वर ही एक मात्र ऐसे ज्योर्तिलिंग हैं जहां तड़के भस्मारती होती है।

बाबा श्री महाकालेश्वर को भस्म से श्रृंगारित कर आरती की जाती है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु अलौकिक आनंद की अनुभूति करते हैं। श्रावण मास के हर सोमवार श्री महाकालेश्वर राजाधिराज स्वरूप में चांदी की पालकी में विराजकर शिप्रा तटतक नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस दौरान श्रद्धालु उनके दर्शन पाकर प्रसन्न हो उठते हैं। श्रावण मास में प्रति सोमवार 3 अगस्त 10 अगस्त 17 अगस्त 24 अगस्त और 29 अगस्त को श्रद्धालुओं द्वारा व्रत रखकर भगवान को फरियाली खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इस दिन जगह जगह फरियाली खिचड़ी का  वितरण भी होता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com