ब्यास के एक गांव में शराबी पिता ने अपनी पांच साल की बच्ची को पेड़ से लटकाकर मौत के घाट उतार दिया। पुलिस को आशंका कि बच्ची की हत्या से पहले उसके साथ दुष्कर्म किया गया है। हालांकि डीएसपी हरकृष्ण सिंह ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही दुष्कर्म की पुष्टि होगी।
डीएसपी हरकृष्ण सिंह ने रविवार सायं अपने कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि रविवार को रइया श्मशानघाट के पास एक पेड़ से पांच साल की बच्ची का शव लटकता मिला। ब्यास थाना प्रभारी किरणदीप सिंह संधू, एसपी अमनदीप व डीएसपी अमनप्रीत कौर तुरंत मौके पर पहुंचे।
जांच में सामने आया कि आरोपित पिता शराब पीने का आदी है। उसके तीन बच्चे हैं, लेकिन शराब की लत के कारण परिवार में अकसर क्लेश रहता था। इसी कारण पति-पत्नी अलग रह रहे थे। पत्नी अपने दो लड़कियों और एक बेटे के साथ मायके में रह रही थी। रविवार दोपहर आरोपित किसी तरह अपनी पांच साल की बेटी को ससुराल से अपने साथ ले गया। शाम तक जब बच्ची घर नहीं पहुंची तो मां ने तलाश शुरू की। इसके बाद रइया श्मशानघाट के पास मासूम का शव मिला।
नवजात को ऑक्सीजन देने के लिए नाना को पकड़ाया पंप, जान गई
उधर, गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में हुई लापरवाही ने एक नवजात की जान ले ली। अस्पताल में कार्यरत एक ट्रेनी स्टाफ ने नवजात को ऑक्सीजन देने के लिए तीन बार पाइप लगाई, मगर यह फिट नहीं हो पाई। इसके बाद ऑक्सीजन देने के लिए एम्बुबैग का पंप नवजात के नाना के हाथ में थमाकर वह चली गई। नाना पंपिंग करता रहा। इस दौरान बच्चे के मुंह से रक्त बहने लगा और उसकी मौत हो गई।
पुतलीघर निवासी बबलू ने बताया कि उसकी पत्नी रश्मि ने जीएनडीएच में बेटे को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चा रोया नहीं। गायनी विभाग की डॉक्टर ने कहा कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ है। इसे फौरन वेंटीलेटर में रखवा दें। बबलू के अनुसार अस्पताल में सभी वेंटीलेटर्स फुल थे। ऐसे में अस्पताल में कार्यरत ट्रेनी स्टाफ ने एम्बुबैग की पाइप (एंडोट्रेकियल इंटूबेशन) बच्चे के मुंह में डाल दी और एम्बुबैग का पंप मेरे ससुर सीताराम के हाथ में पकड़ाकर पंपिंग करने को कहा। वह पंपिंग करते रहे, पर बच्चे की सांस उखड़ती जा रही थी। पीडिएट्रिक वार्ड में सीनियर डॉक्टर नहीं था।
उसका आरोप है कि वह ट्रेनी स्टाफ को बुलाने गया तो वह झल्ला उठी। गुस्से से लाल-पीली स्टाफ आई और एम्बुबैग की पाइप फिर से लगाकर पंपिंग करने की बात कहकर चली गई। दस मिनट बाद बच्चा बिल्कुल सुस्त हो गया। उसने फिर ट्रेनी को बुलाया। उसने आरोप लगाया कि उसने बड़ी बदतमीजी से बात की और पैर पटकती हुई आई। उसने तीसरी बार पाइप लगा दी, मगर तब तक नवजात सांस छोड़ चुका था। उसके मुंह से रक्त निकल रहा था। नवजात की मौत के बाद ट्रेनी स्टाफ ने कहा कि आपने बच्चे को पंपिंग ज्यादा दे दी। बबलू ने कहा कि उनके बच्चे की मौत ट्रेनी स्टाफ की लापरवाही की वजह से हुई है। स्टाफ ने पाइप ही सही ढंग से नहीं लगाई थी। पंपिंग करने का काम डॉक्टर का है।
नवजात की हालत नाजुक थी : डॉ. हीरा
पीडिएट्रिक वॉर्ड के डॉ. हीरा खुल्लर ने कहा कि नवजात बच्चे की हालत पहले ही नाजुक थी। डिलीवरी के बाद बच्चा रोया नहीं था। बच्चे के फेफड़ों में संक्रमण था, इस वजह से उसकी मौत हुई। उन्होंने स्टाफ की लापरवाही को सिरे से खारिज किया।
शिकायत दें, सख्त कार्रवाई होगी : डॉ. जगदेव
गुरु नानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. जगदेव सिंह कुलार ने कहा कि यदि ऐसा हुआ है तो यह गंभीर है। मैं अभी चंडीगढ़ में हूं। परिजन मुझे लिखित शिकायत दें। मैं सख्त कार्रवाई करूंगा। मरीजों के साथ किसी प्रकार की लापरवाही व दुव्र्यवहार सहन नहीं होगा।